डॉ0हरि नाथ मिश्र

*लोक-गीत*(कजरा लगाइ के)


कजरा लगाइ के,गजरा सजाइ के,


आइल गुजरिया-


खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।


 


रहिया तोहार हम ताकत रहली,


रोज-रोज सेजिया सजावत रहली।


बिंदिया लगाइ के,मेंहदी रचाइ के,


आइल गुजरिया-


खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।


 


फगुनी बयार बहि जिया ललचावे,


सगरो सिवनियाँ के बड़ महकावे।


अतरा लगाइ के,तन महकाइ के,


आइल गुजरिया-


खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।


 


इ दुनिया बाटे एक पलही क मेला,


उपरा से देखा त बड़-बड़ झमेला।


बचि के,बचाइ के,छुपि के,छुपाइ के,


आइल गुजरिया-


खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।


 


सथवा हमार राउर जिनगी-जनम से,


कबहूँ न छूटे लिखा बिधिना-कलम से।


असिया लगाइ के,चित में बसाइ के,


आइल गुजरिया-


खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।


              ©डॉ0हरि नाथ मिश्र


                  9919446372


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