*लोक-गीत*(कजरा लगाइ के)
कजरा लगाइ के,गजरा सजाइ के,
आइल गुजरिया-
खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।
रहिया तोहार हम ताकत रहली,
रोज-रोज सेजिया सजावत रहली।
बिंदिया लगाइ के,मेंहदी रचाइ के,
आइल गुजरिया-
खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।
फगुनी बयार बहि जिया ललचावे,
सगरो सिवनियाँ के बड़ महकावे।
अतरा लगाइ के,तन महकाइ के,
आइल गुजरिया-
खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।
इ दुनिया बाटे एक पलही क मेला,
उपरा से देखा त बड़-बड़ झमेला।
बचि के,बचाइ के,छुपि के,छुपाइ के,
आइल गुजरिया-
खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।
सथवा हमार राउर जिनगी-जनम से,
कबहूँ न छूटे लिखा बिधिना-कलम से।
असिया लगाइ के,चित में बसाइ के,
आइल गुजरिया-
खबरिया हो तनी लेल्या सँवरिया।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें