डॉ0हरि नाथ मिश्र

क्रमशः.....*प्रथम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-6


जेहि बिधि जपहु जपहु प्रभु-नामा।


कटिहँइँ कष्ट अवसि श्रीरामा।।


    प्रभु करुनाकर दया-निधाना।


    भगत-आस पुरवहिं भगवाना।।


अबल-सबल जे गुन अरु दोषा।


रहहिं मगन जदि राम-भरोसा।।


     रीझहिं राम प्रेम-सम्माना।


     सबरि-बेर निज कंठ लगाना।।


लंका-राज बिभीषन दीन्हा।


उरहिं लगा सुग्रीवहिं लीन्हा।।


    लइ निज सरन अंगदहि भगवन।


    कीन्ह बालि-इच्छा प्रभु पूरन।।


राम-चरित बड़ अजब-अनोखा।


बुधि जन समुझहिं ग्यान-झरोखा।।


     मूरख समुझि सकहि नहिं लीला।


     समुझहिं केवल प्रभु-गुन- सीला।।


सीय-हरन पछि राम-बियोगा।


लखि गिरिजा भइँ भ्रमित दुजोगा।।


    पुनि सुनि रामहिं चरित-बखाना।।


    अद्भुत प्रभु-महिमा पहिचाना।।


जप-तप-नियम न जग्य सहारा।


कलिजुग बस प्रभु-नाम अधारा।।


दोहा-राम ब्रह्म ब्यापक अलख,परमातम भगवान।


        अस प्रभु जे सुमिरन करै, तासु होय कल्यान।।


                    डॉ0हरि नाथ मिश्र


                     9919446372


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