क्रमशः.....*प्रथम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-6
जेहि बिधि जपहु जपहु प्रभु-नामा।
कटिहँइँ कष्ट अवसि श्रीरामा।।
प्रभु करुनाकर दया-निधाना।
भगत-आस पुरवहिं भगवाना।।
अबल-सबल जे गुन अरु दोषा।
रहहिं मगन जदि राम-भरोसा।।
रीझहिं राम प्रेम-सम्माना।
सबरि-बेर निज कंठ लगाना।।
लंका-राज बिभीषन दीन्हा।
उरहिं लगा सुग्रीवहिं लीन्हा।।
लइ निज सरन अंगदहि भगवन।
कीन्ह बालि-इच्छा प्रभु पूरन।।
राम-चरित बड़ अजब-अनोखा।
बुधि जन समुझहिं ग्यान-झरोखा।।
मूरख समुझि सकहि नहिं लीला।
समुझहिं केवल प्रभु-गुन- सीला।।
सीय-हरन पछि राम-बियोगा।
लखि गिरिजा भइँ भ्रमित दुजोगा।।
पुनि सुनि रामहिं चरित-बखाना।।
अद्भुत प्रभु-महिमा पहिचाना।।
जप-तप-नियम न जग्य सहारा।
कलिजुग बस प्रभु-नाम अधारा।।
दोहा-राम ब्रह्म ब्यापक अलख,परमातम भगवान।
अस प्रभु जे सुमिरन करै, तासु होय कल्यान।।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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