*गीत*(जब सितारे चले)
रात के जब सितारे चले,
मेरे अरमान सारे चले।
रह गई बज़्म सुनी की सूनी-
मेरे मेहमान सारे चले।।रात के जब........
ढल गया चाँद प्यारा सलोना,
मिट गया आज जीवन-खिलौना।
आस टूटी की टूटी रही-
मेरे गमख़्वार सारे चले।।रात के जब........
थम गया सिलसिला हसरतों का,
हो गया ख़ात्मा महफिलों का।
प्यासे अरमान प्यासे रहे-
कहाँ सारे नज़ारे चले।।रात के जब.........
ऐ ख़ुदा!क्या तुझे है मिला,
तोड़कर ये मेरा हौसला?
मर गया मैं यहाँ जीते जी-
दिल के गुलज़ार सारे चले।।रात के जब..........
कोई दिखता नहीं है सहारा,
कैसे पाएगी क़श्ती किनारा?
हवाओं ने रुख अपना बदला-
लगता सारे सहारे चले।।रात के जब.......... ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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