डॉ0हरि नाथ मिश्र

*गीत*(जब सितारे चले)


रात के जब सितारे चले,


मेरे अरमान सारे चले।


रह गई बज़्म सुनी की सूनी-


मेरे मेहमान सारे चले।।रात के जब........


 


ढल गया चाँद प्यारा सलोना,


मिट गया आज जीवन-खिलौना।


आस टूटी की टूटी रही-


मेरे गमख़्वार सारे चले।।रात के जब........


 


थम गया सिलसिला हसरतों का,


हो गया ख़ात्मा महफिलों का।


प्यासे अरमान प्यासे रहे-


कहाँ सारे नज़ारे चले।।रात के जब.........


 


ऐ ख़ुदा!क्या तुझे है मिला,


तोड़कर ये मेरा हौसला?


मर गया मैं यहाँ जीते जी-


दिल के गुलज़ार सारे चले।।रात के जब..........


 


कोई दिखता नहीं है सहारा,


कैसे पाएगी क़श्ती किनारा?


हवाओं ने रुख अपना बदला-


लगता सारे सहारे चले।।रात के जब..........         ©डॉ0हरि नाथ मिश्र


            9919446372


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