# तुम गिरती हो ओला वन #
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मैं तो हरित फसल हूं प्रिय
क्यों कहती हो गोला बन
खुद गलती और मुझे गलाती
क्यों गिरती हो ओला वन
जब मैं पक खलियानों में आता
खुद जलती और मुझे जलाती
तुम जाती हो शोला वन
मैं तो हरित फसल हूं प्रिय
क्यों गिरती हो आेला वन
बड़ी विचित्र हो तुम तो साकी
ना कुछ कहती ना कहने देती
चल देता मैं भोला बन
मैं तो हरित फसल हूं प्रिय
क्यों गिरती हो ओला वन
क्यों नट बन मैं तुम्हें नचाऊं
क्यों मारू बन तुम पांव उठाओ
क्यों गाता फिरू में ढोला वन
मैं तो हरित फसल हूं प्रिय
क्यों गिरती हो ओला बन
डॉ बीके शर्मा
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