डॉक्टर बीके शर्मा

कोई तो मदारी है


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उम्र अब प्यार करने लायक सी हो गई 


बात अब इजहार करने लायक सी हो गई 


आप जब से मेरे ह्रदय का हिस्सा बन गए


 हर बात दिल की जज्बात लायक सी हो गई 


बादल बन छा गए तुम दिल पर मेरे 


की आंखें अब बरसा के लायक सी हो गई 


हम मिलते रहे पल दो पल के लिए 


की उम्र और साथ चलने लायक सी हो गई 


एक फैसला जो साथ रहने का हमने किया 


लगा एक पल में सारी जिंदगी को जी लिया 


प्यार का इजहार तुम से कुछ इस तरह किया 


कि खोल जीवन का हर राज मैंने तुमको दिया 


छुपा मेरा जीवन में तुमसे कुछ भी नहीं 


आपके बिना मेरा एक पल कटता नहीं 


अब तो उम्र आ गई है आखिरी पड़ाव पर 


कि साथ तुम चलो सच यह भी तो नहीं


प्यार कुछ और नहीं सिवा विश्वास के 


उड़ नहीं सकता पंछी बिना आकाश के


 मन दूर जाता है पर लौट आता है 


कोई तो मदारी है जो सबको नचाता है 


 


 


डॉक्टर बीके शर्मा


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