✍️✍️ आज का
🌹🌹🌹(गीत)🌹🌹🌹
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काव्य रंगोली की दीपमाला सजी,
प्रेम के रंग से तुम सजाओ प्रिया।
एक दीपक जलाऊं तेरे पथ में मै,
मेरे उर में दिया तुम जलाओ प्रिया।।
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जाने क्या हो गया है मुझे आज कल,
याद में खुद तुम्हारी भटकने लगा।
लोग कहते थे गिरकर संभल जाऊंगा,
पर मुझे लग रहा, मै बिगड़ने लगा।।
मैने सोचा था गागर में सागर भरूं,
खुद ही सागर में गोते लगाने लगा।
मेरे वैरागी मन में कहां से प्रिया,
आज अनुराग फिर से उमड़ने लगा।।
बनके इक रोशनी इस दीवाली में तुम,
मेरे आंगन में इक बार आओ प्रिया।
काव्य रंगोली की दीपमाला सजी,
प्रेम के रंग में तुम सजाओ प्रिया।।
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खुद गुनहगार हूं मैं तुम्हारा प्रिया,
जो तेरे भाव को कुछ समझ न सका।
तुमने मेरे लिए क्या नहीं कुछ किया,
तेरी खातिर किसी से उलझ न सका।।
मै मृदा का दिया, तुम हो बाती प्रिया,
तेरे संग में रहा और जल न सका।
तुम जली रात भर नाम मेरा हुआ,
खुद ही अपने तिमिर से निकल न सका।।
अपने दिल को सजाया तेरी याद में,
आओ आओ तुम इक बार आओ प्रिया।
काव्य रंगोली की दीपमाला सजी,
प्रेम के रंग से तुम सजाओ प्रिया।।
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(काव्य-रंगोली पत्रिका में प्रकाशित)
................ दुर्गा प्रसाद नाग
नकहा- खीरी
मोo- 9839967711
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