दुर्गा प्रसाद नाग

आज का ✍️✍️


🔥🔥🔥( गीत) 🔥🔥🔥


 


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जीवन की अंधेरी राहों में,


हम दीप जलाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है


हम लहू बहाया करते हैं।।


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तुम भोग भूमि पर रहते हो,


हम कर्म भूमि के वासी हैं।


तुम सरा- सुन्दरी के कीड़े,


हम भारत के सन्यासी हैं।।


 


तुम फूलों पर मंडराते हो,


हम कांटों में गुजारा करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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तुम जख्म पे जख्म देते हो,


हम हंस के उसे सह लेते हैं।


तुम हमे कसाई कहते हो,


हम भाई तुम्हे कह लेते हैं।।


 


तुम कांटे चुभोया करते हो,


हम फूल बिछाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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शैतान तुम्हे यदि कहते हैं,


शैतानी हमें भी आती है।


पर शांति प्रतीक हमारा है,


व शांति ही हमको भाती है।।


 


तुम शूल बिछाया करते हो,


हम डगर बुहारा करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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तुम वार पीठ पर करते हो,


हम सीना फाड़ दिखा देंगे।


यदि भारत में चिंगारी भड़की,


दुनिया को आग लगा देंगे।।


 


तुम अंधेरा फैलाते हो,


हम ज्योति जलाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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कहीं होटल ताज फूंकते हो,


कहीं दंगे भड़काते हो।


जब आती मेरी बारी तो,


झट से बिल में छुप जाते हो।।


 


क्या कर सकते हो तुम चूहों,


यह पता लगाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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तुम छुपकर खेल खेलते हो,


हम खुलकर खेला करते हैं।


तुम मिलकर धोखा करते हो,


हर दुख हम झेला करते हैं।।


 


जिस दिन हत्थे चढ़ गए कहीं,


हम जड़ से सफाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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तुम दहशत यहां फैलाते हो,


हम चैन-ओ-अमन फैलाते हैं।


तुम चोटें देकर जाते हो,


हम भावुक हो सहलाते हैं।।


 


तुम कौमी कोम से जलते हो,


हम नीर बहाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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तुम शांति भंग करते रहते,


हम शांति पाठ सिखलाते हैं।


तुम देख देख जलते रहते,


हम ठाठ बाट बल खाते हैं।।


 


तुम मिर्ची जैसे कड़वे हो,


हम रंग चढ़ाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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तुम आगे पैर बढ़ाओगे,


हम पैर काटकर रख देंगे।


यद्यपि अहिंसावादी हैं,


यह व्रत ताख पर रख देंगे।।


 


जिस दिन हत्थे चढ़ गए कहीं,


हम जड़ से सफाया करते हैं।


जब आंच वतन पर आती है,


हम लहू बहाया करते हैं।।


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दुर्गा प्रसाद नाग


नकहा खीरी


मोo- 9839967711


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