*विषय।।।।चमक।।।।।*
*शीर्षक।।चमक ही चमक नहीं हमें रोशनी चाहिये।।।*
*विधा।।।।।मुक्तक माला।।।।*
*न 1 ।।।।।।मुक्तक*
वही अपनी संस्कार संस्कृति
यहाँ पुनः बुलाईये।
वही स्नेह प्रेम की भावना फिर
यहाँ लेकर आईये।।
हो उसी आदर आशीर्वाद का
यहाँ बोल बाला।
हमें चमक ही चमक नहीं
यहाँ रोशनी चाहिये।।
*न 2 ।मुक्तक।*
सच से दूर हर बात में
नई सजावट आ गई है।
रिश्तों में नकली चमक सी
अब बनावट आ गई है।।
मन भेद मति भेद आज
बस गये हैं भीतर तक।
कैसे करें यकीं कि यकीन
में भी मिलावट आ गई है।।
*न 3।मुक्तक।*
तुम्हारा चेहरा बनता कभी तेरी
पहचान नहीं है।
चमक दमक से मिलता किसी
को सम्मान नहीं है।।
लोग याद रखते हैं तुम्हारे दिल
व्यवहार को ही बस।
न जाने कितने सिकंदर दफन
कि नामों निशान नहीं है।।
*न 4 । मुक्तक।*
जाने हम कहाँ से कहाँ
अब आ गये हैं।
चमकती दौलत को हम
आज पा गये हैं।।
सोने के निवालों से अब
अरमान हो गए।
आधुनिकता में भावनायों
को ही खा गए हैं।।
*रचयिता।एस के कपूर" श्री*
*हंस"।बरेली।*
मो 9897071046
8218685464
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