एस के कपूर श्री हंस* *बरेली।।

*विषय।।।हूंकार।।।।।।।।।।।।।।।।* 


*शीर्षक।।।मैं हिन्द की हूंकार हूँ।।।*


*विधा।।।पद्य।।।।छंदमुक्त(तुकांत)*


 


*मैं हिन्द की हूंकार हूँ।।।।।।*


 


मैं ऋषि मुनियों का ज्ञान हूँ।


मैं पुरातन मूल्यों का गुणगान हूँ।


मैं इस पुण्य माटी की शान हूँ।।


 


मैं संस्कारों की इक शाला हूँ।


मैं गीता की पाठ शाला हूँ।


मैं महाभारत की भी हाला हूँ।।


 


मैं राम कृष्ण की धरा हूँ।


मैं एक शान्ति दूत सा खरा हूँ।


मैं इतिहासों से भी भरा हूँ।।


 


मेरी विश्व में ऊंची शान है।


सहयोग ही मेरा ईमान है।


पर पराक्रम पर अभिमान है।।


 


मैंने दुश्मन को धूल चटाई है।


बस तिरंगे की शान बढ़ाई है।


शत्रु पर भी करी चढ़ाई है।।


 


हर भाषा जाति धर्म और वर्ग है।


जैसे बसता धरती पर कोई स्वर्ग है।


विविधता में एकता बस मेरा तर्क है।।


 


गुलशन हरियाली और बाग बगीचे।


झीलें नदिया पर्वत ऊपर नीचे।


गंगा यमुना इस मिट्टी को सींचें।।


 


मेरे मस्तक पर हिमालय सिरमौर है।


तीन ओर सागर का छोर है।


सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं कोई और है।।


 


मैं तुलसी, गौतम ,गांधी गौरव गान हूँ।


मैं अपना भारत देश महान हूँ।


मैं धरा पर जैसे स्वर्ग समान हूँ।।


 


मैं बन रहा आत्म निर्भर बाजार हूँ।


मैं हर अधर्म के लिये प्रतिकार हूँ।


दुश्मन के लिए काल का वार हूँ।।


*मैं हिन्द की हूंकार हूँ।।।।।।।।।।।*


*मैं हिन्द की हूंकार हूँ।।।।।।।।।।।।*


 


*रचयिता।।।।एस के कपूर श्री हंस*


*बरेली।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।*


मोब 9897071046।।।।।।।।।।।


8218685464।।।।।।।।।।।।।।।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...