एस के कपूर " श्री हंस*" *बरेली।*

*विषय ।।।।हिंद*


*शीर्षक।।।।यह हिंद की ललकार है।*


 


मैं भगवद गीता का गुण गान हूँ।


मैं राम राज्य की खान हूँ।।


135 करोड़ की शान हूँ मैं।


मैं हिन्द भारत देश महान हूँ।।


 


मेरा संस्कारों से ही रहा नाता है।


शांति संदेश ही मुझको भाता है।।


नहीं पहली गोली मैं चलाता हूँ।


तभी हिंद भारत महान कहलाता है।।


 


मैंने ये आज़ादी संघर्षों से पायी है।


बलिदानों से कीमत बहुत चुकाई है।।


स्वाधीनता का मोल खूब जानता हूँ।


पहचान हिंद भारत महान बनाई है।।


 


अखंडता संप्रभुता से वचन बद्ध हूँ।


सीमा रक्षा को सदा प्रतिबद्ध हूँ।।


पहले दोस्ती का मेरा हाथ होता है।


पर शत्रु को परास्त करने में सिद्ध हूँ।।


 


विविधता में एकता हमारा मन्त्र है।


श्रम कर्म धर्म ही हमारा एक यंत्र है।।


हमें अपने परिश्रम पर है बहुत नाज़।


यही मेरे हिंद भारत महान का तंत्र है।।


 


जय किसान जवान विज्ञान मेरा नारा है।


वेद पुराणों से भरा इतिहास हमारा है।।


गंगा जमुना पवित्र पुण्य माटी हमारी।


हिंद भारत महान का ऊपर सितारा है।।


 


गांधी गौतम बोस मेरे कई रूप हैं।


कलाम आजाद से रंगी यहाँ की धूप है।।


कण कण में गूंजती राम कृष्ण की वाणी।


हिंद भारत महान तभी शांति स्वरूप है।


 


कॅरोना,पाक,चीन दुश्मन भी मेरे अपार हैं।


विश्व शांति दूत भारत से करते तकरार हैं।।


पर जान लो मत कम आँकना मेरे देश को।


यह हिंद भारत महान की ललकार है।।


 


*रचयिता।एस के कपूर " श्री हंस*"


*बरेली।*


मोब। 9897071046


                      8218685464


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...