हेमन्त सक्सेना - मेरठ भारत 

#रंगभेद #


 


सड़क पर गिरा हुआ वो अश्वेत 


निरीह होकर कराहता रहा 


तड़पता रहा


चिल्लाता रहा 


"मुझे साँस नहीं आ रही" 


 


मग़र... 


अश्वेत रंग पर भारी  


श्वेतरंगी अहंकारी इंसान ने 


अनसुनी कर दीं उसकी चीखें 


जकड़ता गया अपनी टाँगों से 


उस अश्वेत की गर्दन 


जब तक मरा नहीं वो


 


काश वो जानता!!


कि दर्द का कोई रंग नहीं होता 


मौत की कोई नस्ल नहीं होती 


 


और फिर... 


उस निरीह अश्वेत के आँसू 


बहने लगे अनगिनत आँखों से


तब्दील हो गए सैलाब में 


उसकी सिसकियाँ


शंखनाद बनकर


गूंजने लगीं 


हर गली, हर शहर में


उसकी चीखें कोहराम बन गईं 


उसकी साँसें


उफनने लगीं


समुद्री तूफान की तरह 


उसकी मौत 


चक्रवात बनकर करने लगी तांडव 


 


आँखों में सैलाब! 


होंठों पे शंखनाद!! 


साँसों में तूफान लिए 


सड़कों पर छा गया अश्वेत रंग 


एक बार फिर शुरू हो गई 


अपने रंग और नस्ल के अस्तित्व को जिन्दा रखने की लड़ाई 


इस उम्मीद के साथ 


कि मर जाए अबकी बार 


रंगभेद का ये दानव 


हमेशा के लिए


और ये लड़ाई आखिरी साबित हो 


नस्लवाद के ख़िलाफ़ 


 


- हेमन्त सक्सेना - 


  मेरठ 


  भारत 


 


(अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस अफसर के हाथों हुई हत्या की हृदय विदारक घटना से प्रेरित)


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