*गंगा दशहरा पर विशेष*
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*मां गंगे*
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मां गंगा केवल नदी नहीं है
हमारी आस्था है
साक्षात देवी है
राजा भगीरथ के तप
का प्रमाण है गंगा।
परन्तु आज हमारी
आस्था सूख गई है
और गंगा प्रदूषित
हो गई है
और जीवन हो गया ख़तरे में।
अमृतमयी जल को
कर दिया है हमने गन्दा
इसलिए बाजारों में अब
पानी बोतल में बिकता है।
गीता के संदेश की
पावन धारा सूख रही है
आओ मिलकर करें जागरण
गौ, गंगा व गीता को दे संरक्षण।
भगीरथ के तप से
गंगा धरती पर आई है
निर्मल जल की हम
मिलकर रक्षा का संकल्प लेते है।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
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