पति- स्व0अशोक खरे
जन्म - 25 अगस्त
स्थान - रायसेन मध्यप्रदेश
शिक्षा-स्नातक ( हिन्दी, )
विधा - गद्य, पद्य लेखन
लघुकथा,कविता,नवगीत,
समसामयिक ,निबंध, सवैया भजन,दोहा ,गजल,इत्यादि।
प्रकाशन - साझा संकलन पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशन ( प्रणाम पर्यटन, साहित्य समीर,सरिता संवाद,मेरी संगिनी, कर्मनिष्ठा,शब्दलोक इत्यादि पूर्वांचल प्रहरी समाचार पत्र )
सम्मान पत्रःविभिन्न वाटसप साहित्यिक मंच द्वारा ।
व्यवसाय - अध्यापन
पता - अशोक नगर कालोनी बार्ड नम्बर-13म0न026
थाना- रायसेन
मध्यप्रदेश
मो0 9753152005
ईमेल saudamini50@gmail.com
(सौदामिनी खरे "दामिनी")
गीतिका
212 212 212 212
*ख्वाब कितने ही उसने दिखाये मुझे,*
बात वो जमाने की बताये मुझे।
हर घड़ी साथ मैं तो रहूँ मोहना,
आपसे दूर रहना सजाये मुझे।
रात की चाँदनी देख आसमां में सजी,
रास मधुवन में कोई दिखाये मुझे।
पूछ तो समा सुन्दर है क्यों यहाँ,
गीत मुरली के तूने सुनाये मुझे।
नाव मझधार में लहराय है मेरी,
राह देखू आके तू बचाये मुझे।
स्वरचित मौलिक रचना के साथ सौदामिनी खरे "दामिनी" रायसेन मध्यप्रदेश।
कविता:-
दिन रात देता पहरा वो सीमा का सिपाही।
वतन पे जा लुटाता वो सीमा का सिपाही ।
होली हो दिवाली, राखी हो या बैशाखी।
ईद पर भी देता पहरा वो सीमा का सिपाही।
शीत हो शिशिर हो ठिठुरने से भरे दिन हो।
बर्फीली सरजमीं पर वो सीमा का सिपाही ।
झाडियों की चुभन हो काँटो की जमी हो।
दलदल में भी लड़ता वो सीमा का सिपाही।
बादलों से हो बरसा बिजलियां कौंधती हो।
तूफानों से भी लड़ता वो सीमा का सिपाही ।
आँधी हो या लू हो जला देने वाली उमस हो।
शोलो से खेलता है वो सीमा का सिपाही ।
आपदा हो या महामारी चाहे दंगा फसाद हो।
खड़ा दुश्मन के सीने पे सीमा का सिपाही।
अपने हो पराये या सगे सम्बन्धी भाई हो
सब से रिश्ता जोड़े वो सीमा का सिपाही ।
जय हिंद जय भारत, वंदे मातरम् गान हो।
तिरंगे पे जा लुटाता वो सीमा का सिपाही ।
स्वरचित मौलिक रचना के साथ सौदामिनी खरे "दामिनी "खरे रायसेन मध्यप्रदेश।
गीतः-
कान्हा देते हो क्यो अपनी सफाई।
आज पकडे गये हो कन्हाई ।
मेरी दही की गघर फोड़ डाली।
मै निकली थी मथुरा नगरिया।
सर पे लेकर दध की गगरिया ।
आज पकड़े गये हो कन्हाई-------
नंद भवन मे लगी है अदालत ।
राधा रानी ने की है वकालत।
जज बनी आज देखो नंदरानी।
टूटी मटकी का मोल चुकायी।
आज पकड़े गये हैं कन्हाई ------'
सारी सखियां बनीआज दुश्मन ।
मेरे लाला की करती शिकायत।
सारे जग मे नही कोई तुझसा।
मेरा प्यारा सलौना कन्हाई-------
आँसू आंखो में भर भर के रोई।
नजर तुझको न लगे लाल कोई।
पूरे जग निराला है मोहन।
तेरी राधा से करूँगी सगाई-------
नंद बाबा सुनो आज मेरी ।
मेरे लाला की सूरत है भोली।
नही दहिया की लाला निहोरी।
तेरे लिए घणी माखन बनाई-------
श्याम सुन्दर की शोभा निराली।
गल बैजंती माला सुहाती।
नील वदन रंग राती।
उस पर मोर पंखी लगाई--------।
स्वरचित मौलिक रचना के साथ सौदामिनी खरे "दामिनी" रायसेन पर
सवैया
उठो राम लल्ला जगा रही तोरी मैया ।
लड्डू , पेडा माखन, मिश्री खाओ और मलैया।
भोर भयो सूरज उग आयो आई लाल किरण परछैया।
दशरथ नंदन मुख चूम रही कौशल्या लेय बलैया।
सुन्दर साँवरे मेरो लल्ला मेरी नैन तरैया।
भरत लखन शत्रु शूधन के बडे भैया।
अयोध्या के राजकुअंर है सारे जग के राम रमैया।
हृदय पुलक हुलसी कौशल्या भोर जगायो उठो राम बड भैया
या छवि ब्रम्हा विरंची निहारें होन लगे सुमन वृष्टि बरसैया।
दामिनी हृदय पुलक भये हैं सबके राम रखबैया।
स्वरचित मौलिक रचना के साथ सौदामिनी खरे रायसेन मध्यप्रदेश
भारत की नारी ये भारत की सुसंस्कृत नारी है।
सरल सुखद शांत शुभ्र शीतल शील धारी है।
यह भारत की नारी है।
सरित पावनी गंगा सी,नित बहती अविरल धारा है।
यह भारत की नारी है।
आशा अवंतिका अनुप्रिया अनंताआनंदी अंबिका अंबा है।
नियमा नित्या निद्रा नीरान्जना निर्भया निर्मला शुभकारी है।
यह भारत की नारी है।
गृहणी गर्विता गायत्री गौरी,गजाला गर्भिता गोपिका रानी है।
यह भारत की नारी है।
माधुरी मधुबनी माया मंदिरा सी,मीनाक्षी मृणालिनी मातेश्वरी है ।
यह भारत की नारी है।
कोमला कामिनी कृतिका काम्या सी,करुणा कृष्णा कालिका कृपाणधारी है।
यह भारत की नारी है।
चारु चंचला चपला चंद्रिका सी,चित्ता चित्रा चिरमयी चरणदासी है।
यह भारत की नारी है।
विनीता ,विषया ,वीरांगनाएँ विजया,
विभूति, विशाखा,विराटसाम्रराजयी है
भव्या, अभव्या, भवानी, भूमिका भगवती सी,
भरणी भार्या भगिनी भुवनेश्वरी भारती है।
यह भारत की नारी है।
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