काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार

कालिका प्रसाद सेमवाल


 2-पिता का नाम-श्री गिरजा शंकर सेमवाल


3-शिक्षा-एम०ए०-भूगोल,शिक्षा शास्त्र, व्यक्तित्व परिष्कार, आपदा प्रबंधन, 


4-जन्म तिथि-24 जुलाय


5-पता-मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखंड पिनकोड 246171


6-सम्प्रति -व्याख्याता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग


7-अब तक प्राप्त सम्मान


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(क) रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार -गोडफे फिलिप्स इंडिया लिमिटेड द्वारा 1992


( ख)शाश्वतामृत सम्मान-2008


हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा


(ग) साहित्य मनीषी सम्मान 2010हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा


(घ ) सारस्वत सम्मान 2007


(ड.) साहित्य भूषण सम्मान 2011हिमालय और हिन्दुस्तान द्वारा


(च)विद्यावाचस्पति साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी प्रतापगढ़ उ०प्र०2015


(छ) विद्यासागर विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ गांधी नगर भागलपुर बिहार 2016


(ज) मानस श्री मौन तीर्थ उज्जैन द्वारा2015


(झ) साहित्य महोपाध्याय 2017


( साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश)


(ट) कालीदास सम्मान 2015 कालीदास भू स्मारक समिति रूद्रप्रयाग


(ठ) उत्तराखंड गौरव


बिक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर बिहार


अन्य अनेक संस्थाओं से सम्मानित किया जा चुका है।


8-प्रकाशित पुस्तक-रूद्रप्रयाग दर्शन


9-मोबाईल नम्बर -9410760663


10-ईमेल आईं डी


kalikapsemwal@gmail.com


11-स्थाई पता-


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखंड


पिनकोड 246171


 


मुझको मत ठुकराना प्रिये


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जीवन की मादक घड़ियों में,


मुझको मत ठुकराना प्रिये,


 


नव ऊषा लेकर आएगी,


जब मधुमय जीवन लाली,


कुहू- कुहू कर बोलेगी,


जब कोयलिया काली -काली।


नव रस से भर जाएगी,


जब बसन्त की डाली -डाली,


लहरेगी किसलय-किसलय,


पावन यौवन की हरियाली,


ऐसी मधुमय घड़ियों में,


तुम विरह गीत न गाना प्रिये।


 


छोटी -छोटी मन -रंजन,


और हरी -हरी द्रुम लतिकाएँ,


प्रातः मोती के चमकीले कण,


सलाज से भर लाएँ,


मादक यौवन में जब भौंरे


उन पर गुन-गुन कर खाएँ।


लहर -छहर कर प्रकृति विचरती,


हो जब कोमल रचनाएं,


तब ऐसी मधुमय में,


पल भर तुम मुस्काना प्रिये,


 


चूम धरा जब हंसती हो,


नटखट बदली सावन वाली।


नाचें मयूरी देख घटाएँ,


अम्बर में घिरती काली,


पी-पी के स्वर में चातक ,


जब दे उंडेल स्वर की प्याली,


ऐसी सुखदायी घड़ियों में पास तनिक तुम आना प्रिये।।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रूद्रप्रयाग उत्तराखंड


पिनकोड 246171


 


 


कविता कैसे बनाऊं


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मैं अपनी कविता के लिए


तलाश रहा हूं,


शब्दों को बनाने वाले


अक्षर रेखाएं, मात्राएं


ताकि उनमें भर सकूं


जीवंतता, जिजीविषा


मैं अपनी कविता में


किसान की पीड़ा


गरीब मजदूर का दर्द


पहाड़ में खाली होते गांवो


सभी की करुण कथा


शामिल कराना चाहता हूं,


शब्दों को चुन-चुन कर


एक लतिका बनाना चाहता हूं,


आज प्रगति के नाम पर


जीवन कितना ऊबाऊ है


मैं अपनी कविता के माध्यम से


नव चेतना भरना चाहता हूं,


जीवन क्या है


अपनी कविता में शामिल कराना चाहता हूं।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखंड


 


जीवन में दुत्कार बहुत है


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द्वार तुम्हारे आया हूँ प्रिय,


जीवन में दुत्कार बहुत है।


 


जीवन का मधु हर्ष बनो तुम,


जीवन का नव वर्ष बनो तुम,


तुम कलियों सी खिल खिल जाओ,


चंदा किरणों -सी मुसकाओं,


रखना याद मुझे तुम रागिन,


अंतिम यह फरियाद सुहागिन।


 


कैसे अपना दिल बहलाऊँ


इस दिल पर भार बहुत है।


 


देखो यह नटखट पन छोड़ो,


मुझसे प्रेयसी, तुम मुँह मत मोड़ों,


आओ गृह की ओर चलें हम,


जग बन्धन को तोड़ चले हम,


तुमको पाकर धन्य बनूंगा,


प्यार -प्रीति में नित्य सुनूँगा।


 


तेरे हित में मुझको अब मरना है,


जीवन में अंगार बहुत है।


 


संध्या की यह मधुमय बेला,


रह जाता हूँ यहाँ अकेला,


सूरज की किरणों का मेला,


रचता है जीवन से खेला,


अपना तन-मन भार बनाकर,


चल पड़ता गृह, हार मनाकर।


 


कल समझौता होगा प्रिय,


जीवन में मनुहार बहुत है।


 


दुनिया कल यदि बोल सकेगी,


प्यार हमारा तोल सकेगी,


स्वत्व नहीं है उसको इतना,


कर ले बर्बरता हो जितना,


उसको क्या अधिकार यहां है,


कि रच दे विरह कि प्यार जहां है।


 


प्यार नयन की भाषा


यह इजहार बहुत है।


 


नव प्रभात की नूतन लाली,


रंग जाती है धरती थाली,


भौंरों के जब झुण्ड मनोहर,


गुंजित करते कुसुम -सरोवर ,


मथनी उर को मेरी हारें,


हाय, न क्यों तुम मुझे दुलारे।


 


कैसे तुमको राग सुनाऊं,


जीवन-तार बहुत है।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रूद्रप्रयाग उत्तराखंड


 


 


🎍🌷शुभ प्रभात🌷🎍


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प्यार ही धरोहर है


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प्यार अमूल्य धरोहर है


इसकी अनुभूति


किसी योग साधना


से कम नहीं है,


इसके रूप अनेक हैं


लेकिन


नाम एक है।


 


प्यार रिश्तों की धरोहर है


और इस धरोहर


को बनाये रखना


हमारी संस्कृति


एकता और अखंडता है ,


यह अनमोल है।


 


प्यार 


निर्झर झरनों की तरह


हमारे दिलों में


बहता रहे


यही जीवन की


सच्ची धरोहर है। में


 


प्यार


उस परम पिता परमात्मा


से करें


जिसने हमें 


जीवन दिया है,


इस धरा धाम पर


हमें प्रभु ही लाते हैं।


 


प्यार


उन बेसहारा


बच्चों से करें


जो अभाव का जीवन जी रहे हैं


जो कुपोषण के शिकार हैं


और जो अनाथ है


 


आओ


हम सब संकल्प लें


हम सभी के प्रति


प्यार का भाव रखेंगे


किसी के प्रति


गलत नज़रिया


नहीं रखेंगे,


तभी मनुष्य जीवन सफल हो सकता है।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


 मानस सदन अपर बाजार


 रूद्रप्रयाग उत्तराखंड


 


 


*आपक स्नेह पत्र*


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*आपका स्नेह पत्र*


*जब तुम्हारा पढ़ा,*


*हृदय द्रवित हो गया*


*अश्रु धार आ गई।*


 


*बात मन में लगी पीर अर में जगी*


*नींद बैरिन हुई, दूर मुझसे बड़ी,*


*सांझ मन में ललाती उछलती गई*


*दीप की लौ जिया को मसलती गई*


*स्वपन मेरे नयन में झलकते रहे*


*अश्रु जाने अंजाने लुढ़कते रहे।*


 


*चांद नभ में चला, प्यार तन में जला,*


*स्वपन साधे गगन मौन सोने लगा।*


 


*कर्म मैंने यहां एक ऐसा किया*


*हाय , पूछे बिना जो लुटाया जिया,*


*किन्तु मन में सफल एक आशा जगी*


*फूल मैंने चुना, शूल तुम पर लगें,*


*सिन्धु थाहा अमर कूल मेरा रहे।*


 


*साधना के लिए लौ लगाया मगर,*


*कल्पना का सपन आज रोने लगे।*


 


*कठिन भाव जागे गया कल सयन को*


*उमड़ती रही आंसुओ की रवानी*


*दिया दर्द तुमने बुझाते न बुझता*


*कहां कब रूकेगा नयनों में ये धारा,*


*तुम्हारे लिए दीप के हर किरण में*


*जलेगी हमारी शलभ सी जवानी।*


 


*बहुत है उदासी मिलन चाहता हूं,*


*मगर आज तुमको कहां प्राण पाऊं।*


 


*प्रिये ,शाम के दीप को जब जलाना*


*ज़रा याद करना विवश यह कहानी,*


*नहीं जल सकी हैं उमर की शमाएं*


*किरण में लिपटता शलभ कर नादानी,*


*पुनः याद करना मुझे तुम विरागिनी,*


*अभागा पथिक हूं नयन में है पानी।*


 


*नयन सुला दो हृदय को जगा दो,*


*सपन बन तुम्हें ज़रा सा हंसाऊं।।*


~~~~~~`~`~~~~


*कालिका प्रसाद सेमवाल*


*मानस सदन अपर बाजार*


*रूद्रप्रयाग उत्तराखंड*


*पिनकोड 246171*


 


 


 


 


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