काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार प्रिया चारण

प्रिया चारण


माता- निर्मला चारण


जन्म तिथि- 8 /7/1999


उम्र- 21


जन्म स्थान - नाथद्वारा राजसमंद राजस्थान


पता - कृष्णा कॉलोनी उपली ओडन नाथद्वारा


(राजसमंद) राजस्थान


स्थाई पता - गड़वाड़ा ,भीमल मावली, उदयपुर राजस्थान


छात्र- बी.एस.सी कृषि विज्ञान 


रुचि- नृत्य ,कविता लेखन, सामाजिक कार्य 


NCCकैडेट , STV सेवक


 


कुछ चंद शब्द आपके चरणों मे प्रस्तुत।


 


शीर्षक ~ फिर से सतयुग आएगा


 


फिर से सतयुग आएगा ,


भारत विश्व विजेता कहलाएगा ।।


कोरोना का कहर पडोसी देश बरसाएगा ।


जनता कर्फ्यू वायरस की चैन तोड़ जाएगा। 


 


फिर से सत्ययुग आएगा,भारत...


तीसरा विश्व युद्ध "बायो वॉर" ही जाना जाएगा ।


संसार में हा हा कार मच जाएगा ।


एक वायरस लाशो के ढ़ेर लगाएगा ।


फिर से सतयुग आएगा,


भारत विश्व विजेता कहलाएगा ।।


 


भारत विश्व गुरु का ओहदा पाएगा ।


इटली लाशो से भर जाएगा ।


भारत की संस्कृति हर देश अपनाएगा ।


नमस्ते को अपने आचरण में लाएगा ।


फिर से सतयुग आएगा, 


भारत विश्व विजेता कहलाएगा।


 


हर कोई अपने घरो में छिप जाएगा ,


झरोखे से नजरे फहराएगा ।


हिंदुस्तान फिर से हिन्दू संस्कृति अपनाएगा ।


राम मंदिर का कार्य चला है ,


राम राज्य भी आएगा ।


फिर से सतयुग आएगा ,


भारत विश्व विजेता कहलाएगा ।।


 


प्रिया चारण


 


 


शीर्षक-  समंदर के शहजादे 


 


हम समंदर के ,शहजादे


धरती पर भी फर्ज निभाते है ।


हम अरिहंत चक्र से, समंदर की गहराई नाप आते है।


हम क्षितिज से भी ,बाते साथ ही कर जाते है।


हम विक्रमादित्य सी दुनिया, समंदर के सीने पर बसाते हैं।


हम 1 राज नेवल एन.सी.सी के कैडेट कहालाँते है।


जो हिन्द के कठिन समय में अपनी परवाह किये बिना ,,


कोरोना योद्धाओं के साथ कंधे से कंधा मिलते है।।


 


हम समंदर के शहजादे।


धरती पर भी फर्ज निभाते हैं


 


दुश्मन या कोरोना क्या हमे कफन पहनाएगा-2


हम तो खुद कफन का रंग शोख से चुन आते है।


हम तिरंगे के तीन रंगों से सफेद रंग चुन आते है।


हमे किसी ओर रंग की चाह नही,,


हम तो इसी पर जान लुटाते है


हम शहादत को गले लगाते है।


कफन को भी वर्दी समझ पहन जाते है।


तभी तो हम भारतीय नौसेना कहलाते है।


हम समंदर के शहजादे


धरती पर भी फर्ज निभाते है


"Ncc"के हम नन्हे कैडेट कमजोर न समझना हमे कोरोना


हम भी उसी पेड़ के पत्ते है,,


सोचो हम अगर मिलकर लड़ने आएंगे ,


तो कितना तुज पर कहर बरसाएंगे।


मोदी जी की अपील का अब परिणाम दिखलाएंगे।


हम समंदर के शहजादे


धरती पर फर्ज निभाएंगे।।


वक्त आया है चलो तुम भी आओ, 


कंधो से कंधा मिलाओ ,कदमो से कदम मिलाओ,,,,


चलो पुलिस ,सफाईकर्मी ,बैंकर और 


हर नागरिक के संम्मान में तिरंगा फहराते है।


हम समंदर के शहजादे ,


धरती पर भी फर्ज निभाते है ।।


 


प्रिया चारण


 


 


शीर्षक ~" में लिखने का शोक रखती हूँ "


 


में लिखने का शोख रखती हूँ ,,।


पर क्या? लिखूं , लिखने से डरती हूँ,,।


मैं अपने कुछ जज़्बात अपने अंदर ही रखती हूँ ।


ल मैं लिखने से डरती हूँ , पर अंदर ही अंदर ,


सबसे छिपकर छिपाकर इतिहास रचती हूँ ।


 


मैं लिखने का शोक रखती हूँ ,,।


पर क्या ?लिखूं लिखने से डरती हूँ ।


मैं हर रोज़ उडान तो भरती हूँ, पर ज़माने से डरती हूँ ,,,।


 


क्या कहेंगे लोग, यहाँ सबकी है ,यही सोच


इस सोच से हर शाम बिखरती हूँ ।।


 


में लिखने का शोख रखती हूँ,


पर क्या? लिखूं लिखने से डरती हूँ ,,।।


मैं खुदको हार कर भी, 


दुनिया को जीतने का शोख़ रखती हूँ ।


नन्ही चिड़िया सी हुँ , घोसले को खोने से डरती हूँ ,,,


फिर भी दाना लेने को हर सवेरे उडान भरती हूँ ।।


 


मैं लोखन का शोख़ रखती हूँ 


पर क्या? लिखूं लिखने से डरती हूँ ।।


 


प्रिया चारण


 


शीर्षक ~ देश हित


 


देश हित मे कुछ करे ।।


चलो आओ थाली भी बजाले ,ताली भी बजा ले,


अब चिताए नही, कुछ होसलो के दिये जला ले,


 


चलो थोड़ा मुस्कुराकरा ले,


चलो मजहब को पीछे छोड़ ले ,


चलो एक बार इंसानियत का नाता जोड़ ले,


 


चलो अजान से लेकर मंदिर की घण्टी ,अपने घर मे बजा ले


चलो चर्च की मोमबत्ती से लेकर,


गुरिद्वारे का लंगर ,किसी गरीब के घर मे करादे,,


 


चलो सारि राजनीति से ऊपर उठ कर,


एक बार मोदी जी का साथ निभा ले ,,, 


 


चलो इस बार कागज के टुकड़े छोड़


अपना देश और अपनी जान बचा ले,


 


चलो  जय हिन्द केे नारे लगाते है।


हम भी भारत के चौकीदार बन जाते है ।


चलो देश के प्रति अपनी देश भक्ति दिखाते है।


 


चलो प्रकृति को स्वयं स्वच्छ होना का अवसर दे ,,


लॉकडौन का पालन स्वयं कर अपने परिजनों से करा लें,


चलो देश हित मे कुछ करे।


देश हित मे कुछ करे ।।


प्रिया चारण


 


 


शीर्षक ~ नारी करुणा का ज्ञान


 


नारी करुणा का ज्ञान, प्रेम का रसपान ।


नारी वीरता का जीता जागता प्रमाण ।


नारी विश्व विख्यात ज्ञान ।


नारी सहन शक्ति का परिणाम ।


नारी हर कार्य का विस्तार ।


नारी शक्ति का वर्चस्व है,अपार ।


 


नारी करुणा का ज्ञान, प्रेम का रसपान ।।


नारी दो कुलो को जोड़ती, प्रेम का धागा बन ,


परिवार के हर मोती को पिरोती,


पर आँख में आंसू आए तो ,


किसी कोने में अकेली ही, है रोती ,,,।


 


नारी करुणा का ज्ञान ,प्रेम का रसपान ।।


माँ ,बहन, बहू ,बेटी ,पत्नी सभी रिश्ते एक साथ


अपनी हर खुशी से सींचकर निभाती,, ।


पर न जाने क्यू सम्मान नही है,वो पाती,,,


जगत जाननी माँ अम्बे गौरी क्यू 


सिर्फ नवरात्रि में ही पूजी जाती,,,


क्यों कन्या भ्रूण हत्या के समय


वो तस्वीर किसीको नजर नही आती।।


नारी करुणा का ज्ञान , प्रेम का रसपान ।।


 



 


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