काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार अलका अस्थाना

 



पिता का नाम: श्री अरूण कुमार श्रीवास्तव


माता का नामः श्रीमती गीता श्रीवास्तव


पति का  नाम: श्री अरुण कुमार अस्थाना


जन्मतिथिः- 07.12.1973


जन्म स्थानः आलमनगर रोड ,बावली चैकी लखनऊ


सम्पादकीय कार्यः पृष्ठभूमि, उपभोक्ता क्रान्ति, अनमोल एक्सप्रेस पब्लिक पाॅवर न्यूज़ वेबपोर्टल में आर्टिकल राइटर।


पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनः  उत्तर प्रदेश मासिक, नया दौर उर्दू मासिक,बालवाणी हिन्दी संस्थान की पत्रिका, पत्रिका, अवधवाणी, पताहर सू0एवं0 जनसम्पर्क विभाग स्मारिका ,राहत टाइम्स, पृष्ठभूमि एवं साहित्यगंधा, अपरिहार्य, नूतन कहानियां, संकल्प, जनहित जागरण, ककसाड़ व विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशन, आकाशवाणी लखनऊ में युववाणी, कुम्भ दिग्दर्शिता 2019, कार्यक्रम में काव्य पाठ किया रेडियों में सम सामयिक परिचर्चा एवं वार्ता रेडियो से श्रमिक जगत कार्यक्रम में कहानियों का प्रसारण आदि।


-‘पृष्ठभूमि’ पाक्षिक पत्र में लेखनकार्य ।


-साप्ताहिक समाचार पत्र ‘शान्तिस्रोत’ की सम्पादकव  2010से निरन्तर प्रकाशन।


-‘अनमोल एक्सप्रेस’ सा0 समाचार पत्र मेंलगभग 5वर्षसेजुड़ीहूं।


-कई पत्र -पत्रिकाओं में सम्पादन का कार्यकिया।


-पब्लिक पाॅवर न्यूज़ वेबपोर्टल पर आर्टिकलराइटर के रूप में कार्यरत्।


-कई मंचांे पर राष्ट्रीय स्तर पर काव्य पाठ ।


-राष्ट्रीय पुस्तक मेले में कविता पाठ


-दूरदर्शन द्वारा प्रसारित वन्समोर कार्यक्रम में काव्य पाठ।


-दूरदर्शन वाराणसी में काव्यपाठ।


-प्रतापगढ़ में सम्मानित


-लखीमपुर में साहित्य भूषण से सम्मानित


-लक्ष्य सांहित्य एवं संस्कृति संस्था द्वारा राष्ट्रीय पुस्तक मेला2019 में सम्मानित ।


-कवितालोक संस्था द्वारा सम्मानित ।


नव सहानुभूति संस्था द्वारा सम्मानित।


- कवि कुम्भ दिल्ली में सम्मानित


-जी0डी फाउन्डेशन द्वारा राजस्थान में सम्मानित


-महिला मोर्चा मंच द्वारा सन् 2020 में महिला दिवस, मुम्बई में साहित्य गौरव  सम्मान से सम्मानित।


-सन् 2020 निशंक सम्मान से सण्डीला में सम्माानित


-गोंडा में सन् 2020 साहित्य सेवा सम्मान से सम्मानित


शिक्षा- एम.ए. हिन्दी एवं समाजशास्त्र


-पोस्टगे्रजुएट डिप्लोमा इन मासकम्युनिकेशन, राजर्षि टण्डन मुक्त वि.वि. से किया ।


-मास्टर आॅफ जर्नलिज्म राजर्षिटण्डन मुक्त वि0वि0किया।


-  एडवान्स डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन यूपीटेक लखनऊ से किया


-आई. आई. टी. राजाजीपुरम्  से डी.टी.पी. किया ।


-पोस्ट गे्रजुएट डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन, राजर्षि टण्डन मुक्त वि.वि. से किया ।


-मास्टर आॅफ जर्नलिज्म राजर्षि टण्डनमुक्त वि0वि0 किया।


पुरस्कार व उपलब्धियां


-तुलसी शोध संस्थान द्वारा तुलसी गोष्ठी सम्मान रत्नावली दिया गया।कई संस्थाओं द्वारा प्रशस्ति पत्र


-राष्ट्रीय पुस्तक मेले में कविता पाठ व प्रशस्ति पत्र


अपने बारे में-विद्यालय के दिनों से ही मुझे बुद्धिजीवियों के बीच में रहना पसन्द रहा है। प्रारम्भ से ही कविता लिखने में रुचि रही है। संगीत में विशेष रुचि रही है। विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में निरन्तर भागेदारी रही। 10 वर्षों तक कई मंचों पर कार्यक्रम किया। वर्तमान में मुझे गद्य व पद्य दोनांे में लिखना रुचि कर लगता है। परिणामतः मुझे कहानी व कविताएं लिखना बहुत अच्छा लगता है। यह मेरी आत्मगत प्रवृत्ति है। मेरी आत्मीयता कविताओं में ज्यादा रही है।


प्रकाशित पुस्तक - उस पार तक, कवित संग्रह व सपनों सी ये धूप।


पता: 356/24 आलमनगर रोड बावली चैकी लखनऊ 226017 मो.ः9307197756, 8934884441


 


कविताये- 1


 


मिलती इतराती ये सदियां


 


चिड़िया पोखर झरने नदियां


मिलती इतराती ये सदियां


आओ फिर इक पर्व मनाएं


पर्यावरण को फिर बचाएं


 


रोपेे घर नया इक पौधा


फर-फर गौरैया का कौधा


बुलबुल का यूं चोंच लड़ाना


फूस-फूस घोसला बनाना


 


छप्पर तले घरौंदा होगा


थोड़ा-थोड़ा दाना होगा


सुबह नहा चिड़िया रानी


निमवा तले करंे नादानी


 


ताल -तलैया हर हरियाली


सरसों की फर बाली बाली


पंखों सी  आशा फैंलायें


घिरती घटा घटाएं छायें


 


 


कविताये- 2


समझ न आया


 


निःसंदेह तुम्हंे है जब चाहा


मन भर के समझ न आया


 


सांझ ढले जब सूरज उतरा


सब पर पहरा होता होता


दिन धूमिल जब हो जाता है


मन न जाने उतराता है।


 


सावन आंगन तेरा दर्पण,


अन्र्तवेदो का वो अर्पण।


नयनों का वो आलिंगन,


नयन भरे करता क्रंदन।


 


भीगी पलके तुझको सोचंे,


तेरी हर खामोशी नोचें।


हृदय तंत्र का टुकड़ा होना,


टूटे बादल जैसा रोना ।


 


 


कविताये- 3


 


खूब चलाना साथियों


 


जीवन के इस पर्चे पर,


खूब सजाना साथियों।


नीर भरी है, ये कलम


खूब चलाना साथियों।


 


लिखेंगे हम उस दर्द को,


हृदय गार है साथियों।


लिखते-लिखते न घिसेगी,


खूब लिखेगी, साथियों।


 


चित्र भरे हैं कैनवास पे,


रचती रहेगी साथियों।


बोलो तुम लिखा मैं करूं,


जाग गयी है साथियों।


 


भूखे प्यासे सहमे मन की,


व्यथा कहेगी साथियों।


अत्याचार इस पीढ़ी का,


शब्द डसेगी साथियों।


 


मक्खन सी वो उतरेगी,


अलग दिखेगी साथियों।


प्रेम व्यथा की संगिनी,


प्रेमाकार है साथियों ।


 


 


कविताये- 4


बूंद


 


कैसी गहमा-गहमी है,


मां तेरा आकार बचे।


रक्त बूंद से सींचे जा,े


गर्भ गार की आह बच।े


 


उर में भरती प्रेम सुधा,


छाती भरती पेट है।


एक-एक फिर बूंद लगे


अमृत पर पराग झरा।


 


सीकर नयन सितारे से,


नयनों के गुलजारे से ।


बेटे को छाती से लगाया,


नीर भरे नयनो के पनारे


 


अम्मा कुठरी बैठी है,


जैसे पकीं अंगींठी है।


नीरव होता आंगन है ,


अम्मा का मन पावन है ।


 


 


कविताये- 5


 


अपना गांव


 


पनघट पर पनियारी छूटे,


छूटा मेरा अपना गांव।


चलते -चलते होंठ है सूख,े


कैसे मिले अब मेरा ठांव।


 


हाथ में गठरी ले सामान,


आखों से बह रहे हैं नीर।


काम धाम सब छूटा ऐसे,


रोये पेट भूख की पीर।


 


सन्नाटें ने लीला जिसको


सुख छीना दुःख है गंभीर


विश्व पड़ा अब संकट में


पाये प्राणी कैसे हो तीर ।


 


पड़ा पथिक कैसी ये विपदा,


धूप टेहता थकते पांव।


प्रेम पुजारी देश प्रजा सारी,


पहुंचा दे अब कोई गांव।


 


अलका अस्थाना


356/24 आलम नगर रोड बावली चैकी लखनऊ -226017


9307197756,8934884441


 


 


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