काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार रेनू मिश्रा प्रयागराज

 


रेनू मिश्रा


पिता-श्री श्याम नारायण पाठक


माँ -सरस्वती पाठक


पति -श्री दिनेश मिश्रा


शिक्षिका-खेल गांव पब्लिक स्कूल प्रयागराज उत्तर प्रदेश


जन्म -24-7-1978


शिक्षा-डबल एम ए,बी एड


.लिखने का शौक-199२ से


   नई शब्द सुमन लेखनी ,साहित्यनामा व पेपर आदि मे कविताएँ छपी है।


महिला काव्य मंच ,प्रेरणा मंच,काव्य मंजरी मंच से जुडी हूँ।


लक्ष्मीकान्त वर्मा स्मृति चिह्न , सम्मान पत्रोआदि सेसम्मानित किया गया है।


 


  


 


"कन्हैया कहाँ गये"


 


मुरली के बजइया कहाँ गये


मेरे कृष्ण -कन्हैया कहाँ गये।


कलयुग मे पाप बाढ़ आई


धरा की आँखे भर आई,


व्दापर के कन्हैया कहाँ गये।---


जाति -धर्म की भीड़ लगी,


मै की ध्वजा है लहराई,


गीता के ज्ञानी कहाँ गये।---


पाप घड़ा भरने को है,


अधर्म अपने चरम पर है,


धर्म के वक्ता कहाँ गये।---


नारी पे विपदा भारी पड़ी,


नारी की प्रतिपल बोली लगी,


द्रोपदी के रक्षक कहाँ गये।---


भक्त खड़े गुहार करे,


पाप घटे अन्याय घटे,


अर्जुन के सारथी कहाँ गये।---


देर करो न ओ कान्हा!


मन अधीर हुआ चला जाये,


राधा के कन्हेया कहाँ गये।


मुरली के बजइया कहाँ गये,


मेरे कृष्ण-कन्हैया कहाँ गये।


      रेनू मिश्रा


मौलिक रचना।


प्रयागराज उत्तर प्रदेश।


 


 


 


नारी की कहानी


 


दर्द की कलम से लिखी,


नारी की कहानी है।


आजन्म कोख मे मरी,


नारी की ही लचारी है।


पर्दे के पीछे से रोती,


आज भारत कीनारी है।


अस्मिता बचाने के लिए,


जौहर मे कूदी नारी है।


सतयुग,द्वापर, त्रेता,कलयुग मे,


हर बार रोई नारी है।


दहेज की बलि चढ़ी,


भारत की ही नारी है।


पाप के विरोध पर,


नारी पाती मौत भारी है।


अपमान का घूँट पीती,


जग मे सदा नारी है।


सुरक्षा की बस बाते है,


असुरक्षित आज भी नारी है।


धरा पे पाप भारी है।


धरा भी एक नारी है।


निवेदन मे एक चेतावनी,


कविता मे देती नारी है।


रोक लो कुकर्मों को,


अन्यथा काली बनी नारी है।


सम्मान करो नारी का,


नारी से समृध्दि सारी है।


दर्द की कलम से लिखी,


नारी की कहानी है।


       रेनू मिश्रा


  उपाध्यक्ष,माँ सरस्वती शिक्षा एवं सामाजिक कल्याण संस्थान प्रयागराज उत्तर प्रदेश।


 


 


लचार स्त्री


 


क्षुधातुर हुई मैने देखी


एक वृद्ध स्त्री गंगा पर


प्रमन सी होकर रटती


राम नाम दिन राती


 गई पास मै उसके


पूछा उसके जीवन अंश को


जाने क्या कह गई


वह अपनी ही भाषा मे


जानने को आतुर मै


पूछने लगी संगिनी से


अतुरता देख बया करने लगी


उस निर्जीव सी स्त्री की


दर्दभरी गम्भीर बाते


जान उसकी बातो के अर्थ


अचम्भित एकटक निहारती रही


मन मे उठने लगी


प्रश्नो की अनन्त तरंगे


क्या मानवता समाप्त हो गई?


रिश्ते बेमायने हो गए


विश्वास कर सका न मन मेरा


रह बार-बार उसे देखा


ज्ञानी थी मगर लचार


प्रताडित की गई थी वो


अपनो के अपनेपन से


लूटा था उसको बेगानो ने


अपनो के संग मिलकर


कथा बस इतनी ही


जान सकी मै उसकी


मैडम ने आवाज लगायी


कैम्प की बस है आयी


आशीष सहित विदा ले


चढ़ी कैम्प के बस मे


जाते-जाते मन ने कहा


देख उसे एक बार जरा


धवल वस्त्र मे लिपटी


लग रही थी वो ऐसे


जैसे सूखी डाली कोई


चाह रही हो खिलना ।


 


       रेनू मिश्रा


 


 


. भारत की नारी


बरसो से रोई


जग मे खोई


कभी दिखती


कभी छिपती


कभी हँसती


कभी रोती


दुख समेटती


खुशियाँ बिखेरती


सिसकियों मे जीती


फिर भी मुस्कुराती


काँटो पर चलती


चुभन सहती


फूल बटोरती


परिवार पर लुटाती


व्यथा न बताती


मन मे छिपाती


अन्त में पड़ती


हरि को जपती


दुआ देती


जग से जाती


ऐसी होती


भारत की नारी।


        रेनू मिश्रा


महिला काव्य मंच प्रयागराज,


     उत्तरप्रदेश


 


हिन्दी भाषा


जो भाषा हृदय को छू जाये


                     वो हिन्दी है।


जो भावों में उत्साह भर दे


            वो भाषा हिन्दी है।


जो गीतो मे प्राण डाल दे


            वो भाषा हिन्दी है।


जो जग को वश में कर ले


           वो भाषा हिन्दी है।


देववाणी संस्कृत जिसकी जननी


           वो भाषा हिन्दी है।


सीधी ,सरल सहज जो भाषा है।


                    वो हिन्दी है।


राजभाषा का गौरव जिसे मिला


            वो भाषा हिन्दी है।


बनी राष्टीय एकता की आधारशिला


            वो भाषा हिन्दी है।


 रस,छन्द,अलंकार से सुसज्जित है


            वो भाषा हिन्दी है।


उपेक्षाओ से जो भयभीत नही हुई


             वो भाषा हिन्दी है।


जो हर भाषा का करती सम्मान


                     वो हिन्दी है।


अनुपम,विरलय साहित्य जिसका है


             वो भाषा हिन्दी है।


जो विदेशो मे अपना परचम लहराई


             वो भाषा हिन्दी है।


जो सम्मानित हैसम्मानित रहेगी


              वो भाषा हिन्दी है।


 


         


 


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