कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" 

🌹विश्व मित्रता दिवस🌹 अवसर पर समस्त हृदयग्राही मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएँ ,बधाईयाँ सह सादर नमन💐🙏💐


 


विषयः दोस्ती एक रिश्ता


दिनांकः ०८.०६.२०२०


दिवसः सोमवार


छन्दः मात्रिक


विधाः दोहा 


शीर्षकः 🌹पाएँ मधुरिम मीत✍️


 


दोस्त नाम विश्वास का , त्याग समर्पण नेह।


जीवन की दृढ़तर कड़ी , रक्षक विपदा गेह।।१।।


 


झंझावातों से भरा , संजीवन है मित्र। 


दोस्त न केवल है व्यसन ,प्रेरक भाव पवित्र।।२।।


 


तन मन धन अर्पण सदा , नहीं द्यूत संग्राम। 


रिश्ते नाते सब वृथा, पा सुमीत अभिराम।।३।।


 


मीत हृदय जाने सखा,गुप्त सकल मन बात। 


जाति धरम सबसे अलग, दोस्त बने सौगात।।४।।


 


दोस्त सदा पावन कड़ी , रिश्तों में सरताज।


गज़ब समर्पण मीत का,कौन्तेय अंगराज।।५।।


 


श्रेष्ठ जटायु सम सखा , श्रीराम सखा सुग्रीव। 


मीत विभीषण भील सम,पार्थ कृष्ण संजीव।।६।।


 


तजे स्वार्थ परमार्थ में , सुख दुख में दे साथ। 


करे प्रशंसा सभा में , विपद बढ़ाए हाथ।।७।।


 


दोस्त बने सम्बल सदा , बने सारथी धर्म।


माँ ममता दे ढाल बन , प्रेरक नित सत्कर्म।।८।।


 


शीतल मृदु सम्बन्ध यह , अन्तर्मन सद्भाव।


मेरुदण्ड है जिंदगी , औषधि है हर घाव।।९।।


 


दुर्लभ ऐसा दोस्त जग , पावन हृदय उदार।


लोभ कपट बस झूठ अब, मीत रहा संसार।।१०।।


 


सदाचार से विरत जन ,धोखा दे जग मीत।


प्रीति नीति से वंचना , समझे जीवन जीत।।११।।


 


दोस्ती एक रिश्ता यहाँ , जीते मन संसार।


गंगा सम पावन विमल , जीवन सुख जलधार।।१२।। 


 


दोस्त भाई मातु पिता , जीवन का आलोक।


जीवन की वह आईना , अस्मित मुख हर शोक।।१३।।


 


कवि निकुंज जीवन सुलभ,मीत मिले नवनीत।


कृष्ण सुदामा सम सखा , पाएँ मधुरिम प्रीत।।१४।। 


 


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" 


रचनाः मौलिक (स्वरचित)


नई दिल्ली


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