कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

दिनांकः २१.०५.२०२०


दिवसः गुरुवार


विषयः योग


छन्दः मात्रिक


विधाः दोहा


शीर्षकः योगक्षेमं वहाम्यहम्


आज मनाएँ योग दिवस ,मिलें करें सब योग।


करें व्यायाम साथ में , स्वयं भगाएँ रोग।।१।।


 


योग न केवल साधना , नवसर्जन नव सोच। 


है समत्व की योजना , करें बिना संकोच।।२।। 


 


स्रोत योग ऊर्जस्विता , नव जागृति जयघोष। 


इन्द्रिय जेता नियन्ता , सदा मिटाए रोष।।३।।


 


योगक्षेमं वहाम्यहम् , निर्माणक विश्वास। 


राष्ट्र एकता सूत्र यह , देश भक्ति आभास।।४।। 


 


परहित नित सद्भावना , सत्कर्मी संदेश।


नीति रीति स्नेहिल पथी , योग बने परिवेश।।५।।


 


राष्ट्र धर्म प्रतिमान यह , ख़ुद में दृढ़ संकल्प।


तन मन धन सुख शान्ति का ,केवल योग विकल्प।।६।।


 


करें योग से मित्रता , शत्रुंजय संसार।


बने धीर नित साहसी , आत्मबली आचार।।७।।


 


रोग शोक संताप सब , मोह कपट से दूर। 


स्वाभिमान सम्मान जग, बने नहीं मज़बूर।।८।। 


 


योग नीति सह कर्म का , ध्यान राज सत्काम।


मुक्ति मार्ग संताप त्रय , जीवन धन्य सुनाम।।९।।


 


मानवता रक्षक सदा , साधन नैतिक राह। 


करें नियोजित योग से , भौतिकता हर चाह।।१०।।


 


करें सुखद योगात्म नित , पाएँ निज सौभाग्य।


करें नियंत्रण चपल मन , अभ्यासी वैराग्य।।११।। 


 


योगेश्वर सह पार्थ का , योगसूत्र है शक्ति।


योग राज हैं शिव स्वयं , पातंजलि अभिव्यक्ति।।१२।। 


 


जीतें हम गोलोक को , योगबली पुरुषार्थ।


शील त्याग गुण कर्म से , हरिवंदन परमार्थ।।१३।।


 


कवि निकुंज चंचल मनसि , फँसा मोह जंजाल। 


हेतु पाप मद शोक जग , बचें बनें खुशहाल।।१४।।


 


वर्धापन शुभकामना , विश्व भगाएँ रोग।


स्वागत विश्व योग दिवस , करें मिलें सब योग।।१५।। 


 


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


रचनाः मौलिक (स्वरचित)


नई दिल्ली


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