कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज

दिनांकः १७.०६.२०२०


दिवसः बुधवार


छन्दः मात्रिक


विधाः दोहा


शीर्षकः 🇮🇳तोड़ो चीन गरूर 🇮🇳


 


अमन चैन और मित्रता , है समुचित संदेश।


प्रश्न राष्ट्र सम्मान का , ले बदला हर देश।।१।। 


 


दुश्मन को दुश्मन समझ , करो नहीं विश्वास।


धोखा दे वह कभी भी , हिंसा अरु उपहास।।२।।


 


उठा शस्त्र कर रिपुदमन , हो कब तक बलिदान।


तहस नहस चीनी करो , अमर वीर सम्मान।।३।।


 


क्षमा नहीं प्रतीकार अब , बंद चीन व्यापार।


धारा बदलो नीति की , करो शत्रु संहार।।४।।


 


चीन बना दुस्साहसी , शक्ति सम्पदा चूर ।


महाशक्ति अब तुम स्वयं , तोड़ो चीन गरूर।।५।।


 


ड्रैगन की धोखाधड़ी , बनी सदा की नीति।


करो आर अरू पार अब , चीन न समझे प्रीति।।६।।


 


गलवानी चीनी झड़प , बीस जवान शहीद।


तजो अहिंसा राह को , बनो न अमन मुरीद।।७।।


 


सम्प्रभुता माँ भारती , जागो रे सरकार।


रक्षा यश इज्ज़त वतन, लो चीनी प्रतिकार।।८।।


 


बंद करो वार्ता कथा , भारत चीन विवाद।


करो कूच नासूर पर , नाश चीन अवसाद।।९।।


 


जय शंकर फिर काल बन ,तेजस अग्नि त्रिशूल।


पृथिवी का रिपु चीन है , विश्वास करो न भूल।।१०।।


 


कवि निकुंज लहु खौलता , देख देश हालात।


रहो एक इस वक्त में , दमन शत्रु जज़्बात।।११।।


 


लाओ फिर अरुणिम समय , महाशक्ति सम्मान।


पार शतक अपराध अब , करो चीन अवसान।।१२।। 


 


वीर शहीदों ने किया , पलटवार इस चीन ।


हिन्द चीन की बन्धुता , तोड़ो बनो न दीन।।१३।।


 


बहुत हुआ अब दिलकशी , केवल युद्ध इलाज।


दो सेना अधिकार अब , निर्णायक आगाज।।१४।।  


 


एक तरफ़ वार्ता करे , छिपकर सीमा घात।


महाशक्ति कहता स्वयं , लाठी डंडा लात।।१५।। 


 


अधिकारी सेना वतन , ले निर्णय सीमान्त।


निर्णय ली सरकार ने , करो शत्रु का अन्त।।१६।। 


 


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


रचनाः मौलिक(स्वरचित)


नई दिल्ली


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