कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज

विषयः चित्राधारित


दिनांकः २०.०६.२०२०


दिवसः शनिवार


छन्दः मात्रिक( दोहा)


विधाःस्वैच्छिक 


शीर्षकः कटा आम का पेड़


 


मानवीय संवेदना , मरी आज संसार । 


ठूठ बना यह पेड़ भी , परहित में फलदार।।१।।


 


भौतिक लिप्सा है बला , क्षत विक्षत वन वृक्ष।


व्यर्थ सभी बिन प्रकृति है, जीतो या अंतरिक्ष।।२।।


 


देखो धीरज भाव मन , कटा आम का पेड़।


जीवन हन्ता जो मनुज , फलता पड़ा अधेड़।।३।।


 


साहस पावन तरु कटा , माना नहीं है हार।


गज़ब हौंसला आपदा , सीख मनुज उपहार।।४।।


 


व्यथा कथा संत्रास की , सहता पेड़ रसाल।


लक्ष्य मात्र वश जिंदगी , मानव हो खुशहाल।।५।।


 


जन्म मरण संसार का , चलती जीवन रीति।


जो जीए परमार्थ में , बाँटे मधुरिम प्रीति।।६।।


 


पलभर की ये जिंदगी , पाओ यश कर दान।


सुख समझो सेवा वतन,खुशियाँ मुख मुस्कान।।७।।


 


डिप्रेशन जीवन्त बन , बाधक नित उत्कर्ष। 


कठिनाई दुर्गम समझ , जीवन है संघर्ष।।८।।


 


पथ प्रदर्शक आपदा , देती साहस राह।


धीरज सह विश्वास मन , पूरण होती चाह।।९।।


 


नव पल्लव नव आश का , फल रसाल संदेश।


जीओ जबतक जिंदगी , परहित यश परिवेश।।१०।।


 


सुख दुख जीवन सरित् का,समझो तुम दो तीर।


जलकर पाता चमक को , स्वर्ण मौन गंभीर।।११।।


 


कवि निकुंज प्रमुदित हृदय,कटा पेड़ आचार।


बिना सिसक अरु रोष का, फल देता संसार।।१२।।


 


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"


रचनाः मौलिक(स्वरचित)


नई दिल्ली


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