दिनांकः ०६.०६.२०२०
वारः शुक्रवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
विषयः🌅 चलो लगाएँ पेड़
शीर्षकः 🌵🌱चलो लगाएँ पेड़ हम🌴🌿
खुद जीवन का रिपु मनुज , खड़े मौत आगाज।
बिन मौसम छायी घटा , वायु प्रदूषित आज।।१।।
चकाचौंध औद्योगिकी , नभ में फैला धूम।
जले पराली खेत में , मौत प्रदूषण चूम।।२।।
अज़ब प्रदूषण है यहाँ , कामगार बन मीत।
होंगें बच्चे प्रदूषित , कर्मपथी निर्भीत।।३।।
निर्माणक भविष्य का , योगबली नीरोग।
भूकम्पन प्लावन सलिल ,शीतातप दुर्योग।।४।।
अन्तर्वेदित लालची , काटे नद नदी वृक्ष ।
जल निकुंज सुषमा विरत , दूषित भू अंतरिक्ष।।५।।
प्राण वायु अत्यल्प भुवि , धुआँ जग आकाश।
ग्रसित सूर्य शशि लापता , मृत्यु करे उपहास।।६।।
कवि "निकुंज" अन्तर्व्यथित , ज़हरीला ले श्वाँस।
रोग शोक मद नित मना , ज़ख्मी दिल्ली वास।।७।।
चेतो, अब भी वक्त है , नेतागिरि तज स्वार्थ।
कर उपाय विध्वंस विष , जीओ जग परमार्थ।।८।।
मिटा प्रदूषण साथ में , प्रजा संग सरताज।
शासन सह जनता वतन ,रोपण तरु आगाज।।९।।
स्वयं सजग जन जागरण , कर प्रदोष उपचार।
पुनः सजाएँ हम प्रकृति , जो जीवन आधार।।१०।।
कुदरत का अद्भुत सृजन,भू जलाग्नि नभ वात।
जाति धर्म भाषा विविध , जीवन नया प्रभात।।११।।
चलो लगाएँ पेड़ हम , स्वच्छ वायु निर्माण।
हरित भरित सुरभित धरा, हो जीवन कल्याण।।१२।।
बने स्वच्छ पर्यावरण , निर्मल हो परिवेश।
हो नीरोग जन देश का , सुखद सरल संदेश।।१३।।
बने मीत निज जिंदगी , गढ़ें चारु संसार।
सप्त सरित पावन धरा , प्रगति सिन्धु आचार।।१४।।
प्राण वायु पर्यावरण , रखो स्वच्छ अविराम।
पेड़ लगा जीओ मनुज ,करो प्रकृति अभिराम।।१५।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा " निकुुुंज "
रचनाः मौलिक
नव देहली
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