कविता- अपना ग़म किसी से मत कहना।
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अपने ग़म को भुलाने के लिए,
कुछ दिन तनहा हो लेना,
कितना भी कोई पुछे ,
किसी से कुछ मत कहना
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कुछ तो दया सहानुभूति देंगे
कुछ तो पीठ पीछे हंसेंगे
कुछ तो मौका का फायदा खोजेंगे,
इससे अधिक साथ कोई नहीं देंगे
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सब कुछ खुद ही करना होता है
खुद ही हंसना और रोना होता है
अपने आप को पहचानना जरूरी है,
क्योंकि उसी पर हमारा कर्म निर्भर होता है।
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जितना महशुस किया है
उतना ही कृष्णा ने लिखा है।
कृष्णा देवी पाण्डे
नेपाल गंज,
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