कृष्णा देवी पाण्डे                   नेपाल गंज

कविता- अपना ग़म किसी से मत कहना।


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अपने ग़म को भुलाने के लिए,


कुछ दिन तनहा हो लेना,


कितना भी कोई पुछे ,


किसी से कुछ मत कहना


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कुछ तो दया सहानुभूति देंगे


कुछ तो पीठ पीछे हंसेंगे


कुछ तो मौका का फायदा खोजेंगे,


इससे अधिक साथ कोई नहीं देंगे


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सब कुछ खुद ही करना होता है


खुद ही हंसना और रोना होता है


 अपने आप को पहचानना जरूरी है,


क्योंकि उसी पर हमारा कर्म निर्भर होता है।


*****


जितना महशुस किया है 


उतना ही कृष्णा ने लिखा है।


 


कृष्णा देवी पाण्डे


                  नेपाल गंज,


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