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*विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ*
मानव कृत्यों का पर्यावरण पर प्रभाव
*आलेख*
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विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है,वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं।प्रकृति और पर्यावरण के छेड़छाड़ से प्राकृतिक संतुलन मे दोष पैदा होता है।और यही प्रदूषण कहलाता है।प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में जन्म लेकर प्रकृति को चिढ़ाता है।इसका दुष्प्रभाव के कारण अधिकांश जीव-जन्तुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर दिखने को मिलता है और विभिन्न प्रकार के बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।वृक्षों को अंधाधुंध काटने से मौसम चक्र बिगड़ता है और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।प्रकृति के प्रदूषण से न शुद्ध वायु का मिलना, न शुद्ध जल का मिलना, न शुद्ध खाद्य पदार्थों का मिलना, न शांत वातावरण का मिलना।तथा इसके प्रभाव से न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है और सुखा,बाढ़,ओलावृष्टि देखने को मिलता है।
प्रकृति सुधार विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाने से हरियाली की मात्रा अधिक हो।सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों,आबादी वाले क्षेत्र खुले हों आर्थात् हरियाली से ओतप्रोत हो।कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।मानव जीवन में प्रकृति का बहुत महत्व है, प्रकृति से हम है और मानव जीवन है।
*कुमार🙏🏼कारनिक*
(०५/०६/२०२०)
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