मदन मोहन शर्मा 'सजल'

विधाता छंद


मात्रा भार - 28


समांत - आद


पदांत - करते है


~~~~~~~~~


सुहाने ख्वाब के साए, दिले नौशाद करते हैं,


पुराने प्यार के लम्हे, मुझे आबाद करते हैं, 


 


नहीं कोई शिकायत है, नहीं कोई बगावत भी,


हमारे दिल को' समझाने, स्वयं संवाद करते हैं, 


 


मिले भी तो मुखातिब है, फलक के चांद तारों से,


नजर तीरों से घायल कर, सनम फरियाद करते हैं,


 


सुकूँ महसूस होता है, बनावट के तरीकों से,


परेशान दिल जवां गाफिल, मगर हम याद करते हैं, 


 


*'सजल'* बर्बाद है दुनियाँ, कठिन राहें कठिन मंजिल, 


दिले नादां सिफारिश पर, निरापद नाद करते हैं।


★★★★★★★★★★★★


मदन मोहन शर्मा 'सजल'


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