मंजूषा श्रीवास्तव'मृदुल'

दिनांक २१/६/२०


योग दिवस 


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योग हरे चिंता सभी,काटे सकल कलेश |


तेज बढ़े स्फूर्ति हो,आलस रहे न लेश ||


 


तन मन मे उत्साह हो,छाये नव उल्लास |


रोग दोष सब दूर हों,छाये नहीं विषाद ||


 


योग शक्ति अभ्यास है ,ऐसा सरल उपाय |


नेत्र ज्योति बढ़ती रहे,यौवन कभी न जाय ||


 


काया कांति बनी रहे,कभी न रोग सताय |


प्राणायाम करो सदा,तो जीवन हर्षाय ||


 


मन उमंग बढ़ती रहे,जरा रहे अति दूर |


योगी युत जीवन जियो ,सुख पाओ भरपूर ||


 


योगा प्राणायाम में ,होती शक्ति अपार |


हो विरक्ति दुष्कर्म से,घटे पाप का भार ||


 


गीता में श्री कृष्ण ने ,दिया योग का ज्ञान |


अर्जुन के मन से मिटा ,तमस और अज्ञान ||


 


उत्तम साधन है यही,रखता हमें निरोग |


भक्ति शक्ति की राह का,सुंदर सफल प्रयोग ||


 


दर्शन ने भी योग को ,माना सबसे खास |


जो अपनाते योग को, होते नहीं उदास ||


 


गुरु पातञ्जलि ने दिया ,अनुपम अद्भुत ज्ञान |


इसको अपना कर मनुज,हो जाये बलवान ||


✍️मंजूषा श्रीवास्तव'मृदुल'


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