ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम
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चल रहा है अनवरत ये ज़िन्दगी का क्रम
ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम
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अनपढ़ और ज्ञानियों के लिए1ही नियम
ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम
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पाले हुए हैं हम सभी ने जिन्दगी के भ्रम
ना 1सांस हैअधिक ना 1सांस कम
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जब भी गरम हो लोहा तभी चोट कीजिए
सांसों की लगातार धौकनी से ही गरम
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खुल कर लिखा है सत्य है ना है कोई वहम
ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम
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जब तक जियेगें चलती रहेगी सधी कलम
ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम
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जायेंगे छोड़ जब जहां ना आंख होगी नम
ना 1सांस है अधिक ना 1सांस कम
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मनोज श्रीवास्तव लखनऊ
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