मीना विवेक जैन

*लकड़ी का ऋण*


 


जीवन भर जिनके साथ जिये


जीवन में जिनके लिए जिये


वो साथ नहीं जाते कोई


चाहे कितने उपकार किये


लेकिन जिनसे जीवन चले


उपकार उसी का भूल गये


संग शरीर के कोई न जाता


बस सूखी लकडी साथ जले


लकडी के ऋण को भूल न जाना मन मे एक संकल्प बनाना 


अतं समय आने के पहले वृक्षारोपण करके जाना


 


*विश्व पर्यावरण की बहुत सारी शुभकामनाएं*


 


मीना विवेक जैन


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...