चाहतों के लौ से शमा जल रही है ख़ास परवाने के इंतज़ार कर रही है।
कशिश , यकीं ,ख्वाबों कि हकीकत के दिये में जल रही।।
फर्क रोशन शमां चिरागों में क्या?
चिराग जहाँ का आफताब, महताब। रोशन शमां दिल कि मोहब्बत कि रौशनी जल रही है।।
जलता हुआ चिराग हालात हवा तुफानो से लड़ता ।
अपनी हद ,हस्ती ,मस्ती फानूस कि हिफाज़त का जहाँ में उजाला।।
शमां महफ़िलो कि नाज़ इश्क कि इबादत का नूर नज़र चमक।
चिरागों से कभी खुद के आशियाने के जल जाने का डर।
परवानो का आशिकी के रौशन शमा में जल जाना।।
शमा रौशन आग ,आग का दरिया डूबते जाना है । ख़ास ,खाक के काशमश में जल रही है।।
जलता चिराग
जहाँ के अंधियारे का सूरज, चाँद उम्मीदों का उजाला।
इश्क कि इबादत में दिल रौशन शमां मोहब्बत का उजाला।
आशिकी, हुस्न ,मोहब्बत के जूनून में जल जाना।।
रौशन चिराग जहाँ में अंधेरों से जंग के जज्बात ।
खुदाई, इश्क ,इबादत कि शान जहाँ जज्बे के शुरुर में जलने का उजाला।।
कशमकश ,काश से बाहर निकल दिल में चिराग रोशन जलाइए।।
चाहे हसरत कि इश्क मोहब्बत के रौशन शमां का परवाना बन जाईये ।
जिंदगी के मकसद मंजिल कि दोनों ही इबादत ।
जिंदगी कि हकीकत में क़ोई तो चिराग जलाइए।।
जहाँ खुद के वजूद कि रौशन रौशनी जलाइए।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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