हर अल्फ़ाज़ रेशमी आवाज़ मिश्री सी मिठास बयां करते हर शायर कलम की धार।।
जज्बे, जज्बात बस इतना कहता जीओ हज़ारों साल हर कदमों की मुस्कुराहटों से दुनिआ मैं खुशियां हज़ार !!
बहारों की फ़िज़ाओं में गज़ब की कशिश हलचल वक्त भी ठहर कर दे रहा था गवाही !!
अंदाज़ खास आगाज़ की आवाज़ खास मुस्कुराता चेहरा जहाँ की खुशियों जज्बा जज्बात मनु कायनात की मिज़ाज़।।
सूरज सुरूर पे ही था चाँद दस्तक दे रहा था नए कायनात की बान।।
सागर की सांसों ,धड़कन, वजूद की मल्लिका रौनक सागर की गहराई से उठते तूफानों की परछाई ।।
चाँद ,चांदनी की चमक का ही जलता चिराग हर शायर फनकार!!
सजी सवंरी सतरूपा मनु की
कायनात का इंतज़ार।।
चारों तरफ पानी ही पानी
जमीं का नहीं नामों निशाँ
सागर के तूफां में बस एक नांव।।
जहाँ के वजूद वज्म की
उम्मीद अरमान वक्त की
तेज रफ्तार ।।
मनु की सच्चाई का साथ
खूबसूरत मल्लिकाये मोहब्बत
की कायनात ।।
बिटिया बहना फरिश्तों की नाज़ों की बहना गहना।। !
सागर की जान ,आरजू ,अरमान सच्चाई ,परछाई संग जमीं आसमान की उड़ान ।।
हद हस्ती की पहचान ईमान !!
सूरज सुरूर पे था चाँद ने दस्तक दिया सांसों धड़कन वजूद की मल्लिका रौनक जहाँ में खास।।
मोहब्बत कि बुनियाद का कायनात बँट गया आज
टुकड़े हज़ार।।
नफरतों के दौर में इंसानी
रिश्तों में खत्म हो गयी मिठास।।
मनु की सच्चाई की परछाई सतरूपा भी है आज शर्मसार
क्यों जहाँ के बने बुनियाद।।
क्यों बनाई दुनियां जहाँ इंसान
ही एक दूजे की खिचता टांग
एक दूजे की लाशो की सीढ़ियों
पर छूना चाहता आसमान।।
जमी पर पैर नहीं हवा में
उड़ता मंजिल मकसद गुरुर
के जूनून का कायनात।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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