नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

पढ़े लिखे आदमी की जिंदगी


टीवी अखबार समाचार    


खबर ही जिंदगी में ख़ास 


जिंदगी खबर समाचार ।।


 


चाय ,पान कि दूकान गुलज़ार 


राजनीती ,खेल ,सिनेमा देश 


की तमाम गतिविधियों का बुनियाद


टीवी अखबार कि खबर बहस


का चलता फिरता बाज़ार।।


 


सुबह भागता आदमी चाय ,पान कि दूकान फट मांगता अखबार जैसद गीता कुरान।


शायद कभी स्कूल में ध्यान नहीं


लगाया । ,  


 


जिंदगी 


खुद में समाचार हो गयी है देश के आम जन कि जिंदगी


आम हो गयी है।।


 


जिनके घर ही अखबार टीवी मोबाइल कि भरमार 


सुबह टीवी से ही करते जिंदगी की


शुरुआत खबरों से होते दो चार


रुख करते पढ़ने अखबार पन्ना 


उलटते पलटते कहते नहीं ख़ास


कोई समाचार ।।


 


रोज रोज ना जाने क्या क्या छापते अखबार विज्ञापन ,प्रचार 


टीवी में भी विज्ञापन कि भरमार।।


बेमतलब कि बहस भार हो गयी है


जिंदगी मोबाइल टीवी अखबार हो


गयी है।।


 


अखबार और टीवी से फुरसत तो


मोबाइल संसार ।


रिश्ते ,नाते ,दोस्ती ,मोहब्बत मोबाइल जान हो गयी है।।


 


गुरुओं कि पावन श्रंखला में मोबाइल गुरु की बात हो रही है।।


 


एक दिन बुधना ने किया सवाल


दादा आज कल हर आदमी के


हाथ में छोटा बक्सा कौन भगवान्


कोउ कोउ से बोलत नाही सबकर ऊ पर ध्यान परान ।।


 


का ऐसे मनाई के दाना ,पानी मिल


जात रोजगार बुधना के भोलेपन


का हमहू दिये जबाब।


सुन बुधन पढ़े लिखे लोगन का


हाथ मोबाइल बगले अखबार


सारी दुनिया के समझो है जानकार बादशाह।।


 


जौन् पूछो तौन बताहिये बस ना


बता पहिये आपन रिश्ता नाता 


संस्कृत संस्कार।


ई त पिछड़ापन ह बुधन चावल, रोटी ,दाल


पिज़्ज़ा ,वर्गर .हॉट डांग ,चाउमिन


मोबाईल अखबार जीवन के साथ


पढ़े लिखे का स्टेट्स सिम्बल । बेटा बेटी और परानी


टीवी ,मोबाइल ,अखबार ,टाटा 


थैंकयू ,बाई बाई में सिमट गया 


समाज।।    


 नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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