जिंदगी जब तुम्हे आजमाने लगे
ख़ुशी दामन छुड़ाने लगे।।
अश्कों को ना रोक पाओ अगर
आखों के रुलाने लगे।।
चाहत कि जिंदगी खफा होंके
दूर जाने लगे ।।
अंजाम का यकीं सताने लगे
जुदाई के नगमें गुनगुनाने लगे।।
मन के मैल से जुबाँ लड़खड़ाने लगे।।
बैचैनी सताने लगे नीद आँख से
जाने लगे।।
मोहब्बत जिंदगी कि ख्वाब में
भी आने लगे।।
सामने पडा पैमाना भी हाथ आने
से कदराने लगे।।
हर हक़ीक़द दुनियां कि फरेब नज़र आने लगे।।
जिंदगी में अरमानो के चिराग
जलते बुझते नज़र आने लगे।।
मायूस जिंदगी में बेवफाई जुदाई
गम के साये डराने लगे।।
कौल का यकीन फ़साना लगे
एक बार मुड़ कर पीछे देख लेना
दोस्त शायद मेरी वफ़ा ,दोस्ती
जिंदगी का यकीन हो बहाल
जिंदगी कि चाहत पास आने लगे।
तेरी चाहतों पे तेरा नाम लिख
दूंगा दोस्त पत्थर कि लकीर
कि तरह पत्थर भी तेरी मोहब्बत कि आवाज़ लगाने लगे।।
तेरे अश्को के आँसू दोस्त् काबा
का आबे जमजम पतित पावनि गंगा तुझसे बेवस्फाई के सनम
वफ़ा कि सनद के लिये तेरे आसुओ मे तेरे गम के गुनाह
धोते नहाने लगे।।
नादाँ कि आजमाइस अंजाम यही
खुद कि नज़रों में गिरे दोस्त तेरी
नज़रों में उठाने लगे।।
तेरे दिल कि उफ़ भी आह बन जायेगी तेरी जागती बैचैन रातें
खुदा कि ठोकरों से घायल
तेरी मोहब्बतों कि कसम
खाने लगे।।
मेरी जिंदगी तेरी मंजिल मकसद
चाहतों कि कारवाँ मंजिल तेरी
चाहत खुशिआँ होली के रंगो की
फुहार दीवाली कि तरह जगमगाने लगे।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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