नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

अविरल धारा


प्रभा प्रवाह है जिंदगी


पल पल सुबह ,शाम है जिंदगी


दिन ,महीने ,साल का समय साथ


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


निर्मल, निर्विकार कि चाल


सत्यार्थ है जिंदगी


निश्चल, निरंतर ,निर्वाह है जिंदगी अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


धरा कि धन्य धरोहर धैर्य है जिंदगी


भाव, भावनाओ का उफान,


उछाल है जिंदगी 


सागर कि गहराई ,पर्वत कि ऊंचाई अडिग चट्टान है जिंदगी


मायने ,मतलब ,अर्थ ,अनर्थ है जिंदगी अविरल धारा प्रभा प्रबाह है जिंदगी।।


दुख ,सुख काल, समय कि अधिपति उपलब्धि है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


आंसू, मुस्कान ,मर्यादा ,मर्म ,ज्ञान,


आस्था ,विश्वास, विज्ञानं है जिंदगी


चाल ,चुनौती, जीत ,हार है जिंदगी


सपनों कि सच्चाई का युद्ध है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


अतीत कि पृष्टभूमी काली छाया हो


या चमकदार ,वर्तमान के निर्माण


आधार है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


प्रेम ,द्वेष ,घृणा ,मित्र ,शत्रु ,रिश्ते


नातों का समाज है जिंदगी


माँ कि कोख से जन्मी माँ ,बाप,


भाई ,बहन के स्नेह सम्बन्ध का


परिवार है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


स्वार्थ ,विकृति, विकार का अवसाद हैं जिंदगी 


क्रोध ,बैमनस्व ,कि आग है जिंदगी


करुणा ,प्रेम ,क्षमां ,सेवा पुरस्कार है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


बुद्धा के अनुभूति कि अवस्थाये


चार है जिंदगी 


वात्सल्य ,बचपन, युवा ,प्रौढ ,बृद्ध


असहाय ,लाचार ,मृत्यु का नित्य


निरंतर अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


त्याग ,तपश्या ,बलिदान, पुण्य दान है जिंदगी 


कर्म ,धर्म ,दायित्व ,कर्तव्य आश्रम


चार है जिंदगी


पल ,पल छिंड़ होती जिंदगी में जन्म दिन कि ख़ुशी खुमार 


है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है


जिंदगी।।


उद्धेश्यों कि उड़ान ,तूफ़ान ,


चक्रवात ,झंझावात तमाम से


टकराती ,उलझती ,निकलती


घायल ,घमासान है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है


जिंदगी।।


कली ,फूल ,नादाँ ,कमसिन, नाज़ुक ,अनजान का साथ प्रेयसि, पत्नी का साथ है जिंदगी 


अविरल धारा प्रभा प्रबाह है जिंदगी।।


माँ बाप का लाड़ला दुलारा स्वय माँ बाप संतान है जिंदगी 


अविरल धरा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


 आचरण ,संस्कृति ,संस्कार 


आचार ,व्यवहार है जिंदगी


ठहरती नहीं चलती जाती रफ्तार है जिंदगी मिलते,


बिछड़ते संबंधो का सार है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


सच झूठ का मेला ,झमेला 


मिश्री ,मिर्ची पराक्रम, पुरुषार्थ है 


जिंदगी


सावन कि फुहार बारिस कि बौछार ,धुप ,छाँव है जिंदगी


मधुबन, मधुमास है जिंदगी 


माटी कि मोल अनमोल बेमोल


नाम बदनाम है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है 


जिंदगी।।


माँ कि कोख से माँ कि गोद 


माँ कि ममता के आँचल का प्यार


बाप के आशाओ का अवनि आकाश जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है जिंदगी।।


रिश्ते ,नातो ,परिवार के विश्वशो 


का भविष्य वर्तमान है जिंदगी 


जिंदगी कि अविरल धारा को


रोक दे ,मोड़ दे क़ोई ,


कोई प्रमाण नहीं का प्रमाण है


जिंदगी


मिट्टी के तन मन कि जिंदगी मिट्टी में मिट्टी में मिल जाती


पानी के बुलबुले 


जैसी कब्र शमशान में चिर 


निद्रा में सो जाती मिट्टी में 


मिल जाती अपनी अनंत 


यात्रा पर निकल जाती


नई चेतना कि नई अविरल धारा


से मिल जाती आत्मा शारीर के


अविराम यात्रा है जिंदगी


अविरल धारा प्रभा प्रवाह है


जिंदगी।। 


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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