मन की प्यास
14.6.2020
हाइकु
5,7,5
मन की प्यास
कैसे बुझे सांवरे
राह दिखाओ ।
मन बसे हो
कब आओगे देने
दर्शन बोलो ।
हर पल हूँ
व्याकुल तुझ बिन
सुनो सांवरे ।
राधा पुकारूँ
तुझे रिझाऊं कान्हा
दर्श दिखाओ ।
पूजा न जानू
अवगुण हैं सारे
करो स्वीकार ।
व्यथित मन
तुम्हें सदा पुकारें
पार लगाओ ।
कष्ट बहुत
जीवन संकट में
सौंपा है भार ।
तुम ही जानो
तुम तारणहार
मुझे उबारो ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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