निशा"अतुल्य"

स्तुति 


शिवशंकर


29.6.2020


 


हे शिव शंकर हे अभ्यंकर


तुम कैलाश निवासी हो 


अजर अमर हे अविनाशी


नील कंठ तुम धारी हो ।


 


शिव शंकर हे अभ्यंकर 


तुम कैलाश निवासी हो ।।


 


वाम अंग तेरे गौरा विराजे


नंदी की सवारी हो 


सूत पाया तुमने गणेश सा


जिस पर मैया बलहारी हो ।


 


शिव शंकर हे अभ्यंकर 


तुम कैलाश निवासी हो ।।


 


भूत, प्रेत सँग चले प्रभु


तुम रागी वैरागी हो 


माँ सती ले काँधे पर डोले


प्रेम रस अविरागी हो ।


 


शिव शंकर हे अभ्यंकर 


तुम कैलाश निवासी हो ।।


 


धूनी रमाई श्मशान प्रभु ने


नश्वरता बतलाते हो 


पी कर तुमने हाला को


जग के तुम कल्याणी हो ।


 


शिव शंकर हे अभ्यंकर 


तुम कैलाश निवासी हो ।।


 


स्वरचित


निशा"अतुल्य"


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