कविता:-
*"जीवन अपना पहचाने"*
"इतनी ख़ुशी मनाओं साथी,
पल-पल मन महके तन चहके।
इतना संग निभाओ साथी,
यहाँ साथी न फिर से बहके।।
दुर्लभ जीवन जग में साथी,
जन-जन जग में इसको जाने।
तन डूबा स्वार्थ में साथी,
कहाँ-मन यहाँ इसको माने?
माने जो मन इसको साथी,
यहाँ जीवन सफल है-जाने।
भक्ति में लगा तन-मन साथी,
फिर जीवन अपना पहचाने।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta
ःःःःःःःःःःःःःःःः
14-06-2020
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