<no title>सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-


  *"जीवन अपना पहचाने"*


"इतनी ख़ुशी मनाओं साथी,


पल-पल मन महके तन चहके।


इतना संग निभाओ साथी,


यहाँ साथी न फिर से बहके।।


दुर्लभ जीवन जग में साथी,


जन-जन जग में इसको जाने।


तन डूबा स्वार्थ में साथी,


कहाँ-मन यहाँ इसको माने?


माने जो मन इसको साथी,


यहाँ जीवन सफल है-जाने।


भक्ति में लगा तन-मन साथी,


फिर जीवन अपना पहचाने।।"


ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता


sunilgupta


ःःःःःःःःःःःःःःःः


         14-06-2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...