नूतन लाल साहू

सबले बड़े प्रकृति हे


धन दौलत अबड़ कमायेन


सुवारथ म उमर गंवायेन


पग पग म काल खड़े हे


दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे


नांगर बइला घलो नंदागे


दस बनिहार के कामला ट्रैक्टर


पल भर म कर लेथे


नींद परागे, संसो आगे


उठे बइठे ला नी भावय


धन दौलत अबड कमायेन


सुवारथ म उमर गंवायेन


पग पग म काल खड़े हे


दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे


मन के कल्पना हा, सबला तड़फावत हे


जीनगी के भीतरी म दुःख हा हमागे


जहर कस लागथे, मनखॆ के बोली


भाई चारा ह नदावत हे


धन दौलत अबड कमायेन


सुवारथ म उमर गंवायेन


पग पग म काल खड़े हे


दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे


खेती अपन सेती कहिके


जांगर ला सब चलावन


चुहत पसीना रग रग भीतरी


सत के बचन निभावन


काम बुता म ढेर नी लागे


घाम म पसीना चुचुवावय


मेहनत अउ ईमान के गांधी ल देख


गरमी म गरमी, ढंड म ढंड


अउ प्रकृति ह बरसात म पानी बरसावय


धन दौलत अबड कमायेन


सुवारथ म उमर गंवायेन


पग पग म काल खड़े हे


दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे


नूतन लाल साहू


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...