सबले बड़े प्रकृति हे
धन दौलत अबड़ कमायेन
सुवारथ म उमर गंवायेन
पग पग म काल खड़े हे
दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे
नांगर बइला घलो नंदागे
दस बनिहार के कामला ट्रैक्टर
पल भर म कर लेथे
नींद परागे, संसो आगे
उठे बइठे ला नी भावय
धन दौलत अबड कमायेन
सुवारथ म उमर गंवायेन
पग पग म काल खड़े हे
दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे
मन के कल्पना हा, सबला तड़फावत हे
जीनगी के भीतरी म दुःख हा हमागे
जहर कस लागथे, मनखॆ के बोली
भाई चारा ह नदावत हे
धन दौलत अबड कमायेन
सुवारथ म उमर गंवायेन
पग पग म काल खड़े हे
दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे
खेती अपन सेती कहिके
जांगर ला सब चलावन
चुहत पसीना रग रग भीतरी
सत के बचन निभावन
काम बुता म ढेर नी लागे
घाम म पसीना चुचुवावय
मेहनत अउ ईमान के गांधी ल देख
गरमी म गरमी, ढंड म ढंड
अउ प्रकृति ह बरसात म पानी बरसावय
धन दौलत अबड कमायेन
सुवारथ म उमर गंवायेन
पग पग म काल खड़े हे
दुनिया म प्रकृति ही बड़े हे
नूतन लाल साहू
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