नूतन लाल साहू

ज्ञान की बातें


देरी कर दो क्रोध में तो


क्रोध टल जाता है


खुद ही अपने आग में


क्रोध जल जाता है


सुनो सौ लोगो की बात,पर


दिल की बात तुम मानो


काज सफल उसी का होता है


जिसने खोया नहीं विवेक


देरी कर दो क्रोध में तो


क्रोध टल जाता है


खुद ही अपने आग में


क्रोध जल जाता है


सबसे मूल्यवान है,समय


और शब्दों का अर्थ है सार


जो भी साधा सिर्फ अर्थ को


उनका जीवन हुआ,व्यर्थ


देरी कर दो क्रोध में तो


क्रोध टल जाता है


खुद ही अपने आग में


क्रोध जल जाता है


जो पोथी में लिखा हुआ है


उसे न अपना मान


ढला नहीं, जो कर्म में


वो है कैसा ज्ञान


देरी कर दो क्रोध में तो


क्रोध टल जाता है


खुद ही अपने आग में


क्रोध जल जाता है


बाहर से दोस्त तो बहुतेरे होते हैं


पर भीतर छुरी चलाता है


इकदिन अपने ही छुरी से


खुद ही मर जाता है


देरी कर दो क्रोध में तो


क्रोध टल जाता है


खुद ही अपने आग में


क्रोध जल जाता है


नूतन लाल साहू


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