कबीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
गीत-आज ज़रूरत है कबीर की
चाटुकारिता जिसे न आये
कविता मे केवल सच गाये।
झूठे आडम्बर को तजकर
ढाई आखर प्रेम सिखाये।।
चाहत है उस कलमवीर की।
आज ज़रूरत है कबीर की।।
जिसके संघर्षो की गाथा
हर युग को नव पाठ सिखाये।
तन के शुद्धिकरण से ज्यादा
जो निज मन को पाक बनाये।।
सच्चाई के शून्य धरातल पर
शब्दों का गढ़ गढ़ता हो।
वेद-शास्त्र के साथ-साथ में
लोगों की पीड़ा पढ़ता हो।।
तूफ़ाँ और बवंडर आये
अडिग हिमालय सा बन जाये।
निज प्राणो का मोह त्यागकर
जो सुल्तानों से टकराये।।
ऐसे विद्रोही फ़कीर की।
आज ज़रूरत है कबीर की।।
पीर सुनाये जो जन -जन की
पोल खोल दे काले धन की।
घटिया सोच सुना दे सबको
नेताओ के अंतर्मन की।।
घोर कालिमा में प्रकाश की
किरणों का आभास करा दे।
बंद नयन के खोल किवाड़े
एक पुण्य एहसास करा दे।।
दीपक-ज्योति स्वयं बन जाये
अँधियारे से आँख मिलाये।
जब तक स्नेह मिले बाती को
जलकर वो प्रकाश फैलाये।।
सुख-दुख मे सम परमधीर की।
आज ज़रूरत है कबीर की।।
पवन कुमार, सीतापुर
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