'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020' पर एक कविता
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'विश्व योग दिवस' पर आओ
हम सीखें और सिखायें योग,
प्रारम्भिक शिक्षा केन्द्रों में भी
हम बच्चों को सिखायें योग।
भौतिक वादी युग में मानव
अवसाद ग्रस्त हो जाता है,
किंचित पता नहीं है उसको
वह क्या खोता क्या पाता है।
बहुत हुआ अब आपा-धापी
समझें और समझायें योग।..
कुछ दृश और अदृश रोगों से
जीर्ण-शीर्ण तन हो जाता है,
दूषित जल और खानपान से
अस्त-व्यस्त सब हो जाता है।
सूर्य, चन्द्रमा और धरा भी
दुनिया को समझायें योग।..
संयुक्त राष्ट्र का है ये कहना
'सेहत के लिए, घर में योग',
प्रतिदिन के जीवन शैली में
सम्मिलित कर लें हम योग।
संतों मुनियों की तपोभूमि से,
दुनिया भर में फैलायें योग।..
आज अगर संकल्पित होकर
जो हम करते रहें नित योग,
सदा रहेगा तन मन स्वस्थ
मिथ्या औषधि का उपयोग।
वसुधैव कुटुम्बकम् के मूल में
हम घर-घर में पहुँचायें योग।.
मौलिक रचना-
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश'
(सहायक अध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, लक्ष्मीपुर, जनपद- महराजगंज, उ० प्र०) मो० नं० 9919886297
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