*जरा सोचिए......*
मुहब्बत में बेचैनी होती है ।
तन्हाई कि स्याह रात होती है
शंका का बाजार गर्म और
यकीन जर्जर होता है
सैकड़ों आंखे निगेहबानी पर
उम्मीदों का खेत बंजर होता है
जिसे चाहा वो मिला नहीं
जो है वो पास नहीं
और जो पास वो अपना नहीं
क्या यही प्यार की तिजारत??
*जरा सोचिए......*
*प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*
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