प्रिया चारण नाथद्वारा राजसमन्द राजस्थान

असीम सौन्दर्य का नवीन प्रमाण है प्रकृति।


पतझड़ से लेकर फूलो की बहार है प्रकृति ।


 


अनीति का विनाश है प्रकृति। 


सूर्य के तेज़ से लेकर रिमझिम बरसात है प्रकृति।


 


पांच तत्वों का विज्ञान है प्रकृति


समय का विस्तार है प्रकृति


धन धान्य की उपज से लेकर सूखा अकाल है प्रकृति


 


वृक्षो सा श्रृंगार है जिसका


झील सी नीली आँखे।


चाँदनी रात सा काजल जिसको साजे


 


ममता सी उपज है जिसकी


वायु की शीतलता मन मोह ले 


अग्नि जिसके क्रोध में है


 


हिमालय सा ताज है


मरुस्थल सा साम्राज्य है


गर्भ जिसका खनिजो से भरा 


पर्वत शिलाएं जिसकी सिमा रेखा 


यही हमारी प्रकृति का विस्तार है 


अनदेखा सा प्यार है


 


प्रिया चारण


नाथद्वारा राजसमन्द राजस्थान


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