राजेंद्र रायपुरी

छप्पय छंद पर एक रचना - -


 


हरदम सोचा काम, 


                हुआ है किसका भाई। 


चाहे हो दसशीश, 


                या कि होवें रघुराई।


लाखों करो उपाय, 


               काम है रुक ही जाता।


होता वो ही यार, 


           भाग्य जो लिखा विधाता।


मानो कहना सच यही,


            भाग्य लिखा जो हो वही। 


मैं ही कहता ये नहीं, 


               संतों ने भी है कही।


 


           ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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