😊😊 एक गीतिका 😊😊
भले-बुरे की जिनको यारो,
जग में है पहचान नहीं।
उनको तुम पशुवत ही मानो,
सच में वे इंसान नहीं।
मानवता के दुश्मन हैं वो,
हर दिन नफ़रत फैलाते।
उनकी बातों पर हम सबको,
देना बिल्कुल ध्यान नहीं।
दूर हमें है उनसे रहना,
समझ छूत की बीमारी।
उनकी बातों का हम सबको,
लेना है संज्ञान नहीं।
अलग-थलग ही रखना उनको,
समझ यार कूड़ा करकट।
भले लगें वे द्विज के जैसे,
देना उनको मान नहीं।
कोरोना के वाहक हैं वो,
सावधान हमको रहना।
गले लगाकर उनको हमको,
देनी अपनी जान नहीं।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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