😊😊 एक गीतिका 😊😊
जो शुभचिंतक होते अपने,
याद वही तो आते हैं।
अपने दिल के कोने में भी,
जगह वही तो पाते हैं।
जो शुभचिंतक होते ना वो,
दिल में बसा नहीं करते,
कैसे बसें कहो वो दिल में,
जो दिन- रात सताते हैं।
नेकी कर दरिया में डालो,
सुनी कहावत है हमने,
ऐसा जो करते हैं उनके,
गुण जग में सब गाते हैं।
जो हक़ मार सभी का यारो,
झोली भरते हैं अपनी,
अपने रिश्ते-नाते क्या वो,
सबसे गाली खाते हैं।
मानो हम जो कहते उसको,
बात नहीं ये है झूठी।
जिनका जीवन परहित बीता,
संत वही कहलाते हैं।
।।राजेंद्र रायपुरी।।
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