राजेंद्र रायपुरी

एक मुक्तक - - 


 


मन भरा है मैल तेरे, 


                 माॅ॑ज तन को क्यों रहा है।


माॅ॑ज पहले यार मन को,


                  काम उल्टा हो रहा है।


माॅ॑जना तन छोड़ मन को,


                    ठीक बंदे तो नहीं है,


बीज नफ़रत के यही तो, 


                  मन विषैला बो रहा है।


 


              ।। राजेंद्र रायपुरी।।


 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...