😔 दो गज की दूरी 😔
दो गज की दूरी,
है यार मजबूरी,
जाने ये कब जाएगी।
आलिंगनबद्ध हो पाएॅ॑गे,
जीवन के सुख ले पाएॅ॑गे,
जाने वो रात,
कब आएगी।
बीत न जाए ये ज़िन्दगी,
यूॅ॑ ही।
डर यही सता रहा है।
"कोरोना" का ख़ौफ़ तो,
दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।
सच कहूॅ॑ तो,
अब दुनिया में,
वैवाहिक जीवन का भविष्य,
उज्जवल,
नज़र नहीं आ रहा है।
आ नहीं पाएॅ॑गे पास-पास।
मिट नहीं पाएगी,
मिलन की प्यास।
हर जोड़े की ज़िंदगी,
रेल की वो पटरी,
बनकर रह जाएगी,
जिस पर प्रेम की गाड़ी,
कभी नहीं चल पाएगी।
न आओ पास,
इच्छा होगी न पूरी,
दो गज की दूरी,
है यार मजबूरी।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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