राम सनेही ओझा वाराणसी /मुंबई

मेरे द्वारा रचित काव्य संग्रह :


" पुष्करान्जली " ,जो अप्रकाशित है , से एक दोहावलि :


" राम सनेही के दोहरे "


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राधे ~ राधे बोल के ,


जय श्री कृष्णा बोल !


राधे रमण के सामने , ॥१॥


मन की आपा खोल !!


सनेही ----मन की आपा खोल----


 


राधा ~ राधा बोलते जब ,


धारा ~ धारा होई जाय !


जाप निरंतर जो करै~घर , ॥२॥


सुख ~ समृद्धि सोई पाये !!


सनेही---सुख समृद्धि सोई पाये---


 


राधा ~ रानी कृष्ण ~ प्रिया ,


बरसाने~ गांव की गोरी !


राधा~श्याम निहारती जैसे ,॥३॥


तीक-वेऽ ,चांद~चकोरी !!


सनेही---यीक-वेऽ,चांद~चकोरी--


 


राधा ~ कृष्णा सब कहै , ॥४॥


कुब्जा ~ कृष्ण न कोई ! ॥


इकबार जो कुब्जा~कृष्ण कहै, 


जन्म~जनम सुख होई !!


सनेही---जन्म~जनम सुख होई--


 


रास ~ रचायें~गोपियाँ , 


वृंदा ~ वन हर ~ रात !


महा~रास मेंऽ कृष्ण दिखें॥५॥


हर~गोपियन के साथ !!


सनेही---हर गोपियन के साथ---


 


मुरली~धुन सुन~राधिका ,


अपना सुध ~ बुध खोई !


राधा ~ रानी ~ श्याम से , ॥६॥


मधुर ~ मिलन ~ संयोई !!


सनेही---मधुर ~ मिलन संयोई---


 


श्याम~अधर रस~पान कर ,


मुरली~प्रेम~धुन~गायेऽ !


राधा प्यारी , जल मरी , ॥७॥ 


मुरूली~सौतन बन जाये !!


सनेही--मुरूली सौतन बन जाये--


 


ऋषि ~ मुनि गोपी भयो ,


आयो गोकुल ~ ब्रज गांव !


प्रेम ' कृष्ण ' पर , वर्षाने , ॥८॥


ध्यायो ~ वृंदावन ~ छांव !!


सनेही---ध्यायो~वृंदावन~छांव---


 


कहे राधिका~सुनो~कन्हैया ,


हमका जिन ~ तरसाओ !


बीत न जाए सावन हमरी ,॥९॥


अबतो ~ रंग ~ वर्षाऽवो !!


सनेही---अबतो ~ रंग वर्षाऽवो---


 


रंग ~ बिरंगे~हरे~गुलाबी , ॥९॥


मोहन~ब्रज ~ फाग, मचायो !


इत~उत ,भागेऽ राधे~मोहन ,


सखिअन ~ मिल रंग वर्षायो !!


सनेही---सखिअन~मिल रंग वर्षायो---


   ॥ ॐशांतिॐ ॥


सर्वाधिकार सुरक्षित, रचनाकार, राम सनेही ओझा, पूर्व वायु सेना अधिकारी, वाराणसी /मुंबई !


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