मेरे द्वारा रचित काव्य संग्रह :
" पुष्करान्जली " ,जो अप्रकाशित है , से एक दोहावलि :
" राम सनेही के दोहरे "
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राधे ~ राधे बोल के ,
जय श्री कृष्णा बोल !
राधे रमण के सामने , ॥१॥
मन की आपा खोल !!
सनेही ----मन की आपा खोल----
राधा ~ राधा बोलते जब ,
धारा ~ धारा होई जाय !
जाप निरंतर जो करै~घर , ॥२॥
सुख ~ समृद्धि सोई पाये !!
सनेही---सुख समृद्धि सोई पाये---
राधा ~ रानी कृष्ण ~ प्रिया ,
बरसाने~ गांव की गोरी !
राधा~श्याम निहारती जैसे ,॥३॥
तीक-वेऽ ,चांद~चकोरी !!
सनेही---यीक-वेऽ,चांद~चकोरी--
राधा ~ कृष्णा सब कहै , ॥४॥
कुब्जा ~ कृष्ण न कोई ! ॥
इकबार जो कुब्जा~कृष्ण कहै,
जन्म~जनम सुख होई !!
सनेही---जन्म~जनम सुख होई--
रास ~ रचायें~गोपियाँ ,
वृंदा ~ वन हर ~ रात !
महा~रास मेंऽ कृष्ण दिखें॥५॥
हर~गोपियन के साथ !!
सनेही---हर गोपियन के साथ---
मुरली~धुन सुन~राधिका ,
अपना सुध ~ बुध खोई !
राधा ~ रानी ~ श्याम से , ॥६॥
मधुर ~ मिलन ~ संयोई !!
सनेही---मधुर ~ मिलन संयोई---
श्याम~अधर रस~पान कर ,
मुरली~प्रेम~धुन~गायेऽ !
राधा प्यारी , जल मरी , ॥७॥
मुरूली~सौतन बन जाये !!
सनेही--मुरूली सौतन बन जाये--
ऋषि ~ मुनि गोपी भयो ,
आयो गोकुल ~ ब्रज गांव !
प्रेम ' कृष्ण ' पर , वर्षाने , ॥८॥
ध्यायो ~ वृंदावन ~ छांव !!
सनेही---ध्यायो~वृंदावन~छांव---
कहे राधिका~सुनो~कन्हैया ,
हमका जिन ~ तरसाओ !
बीत न जाए सावन हमरी ,॥९॥
अबतो ~ रंग ~ वर्षाऽवो !!
सनेही---अबतो ~ रंग वर्षाऽवो---
रंग ~ बिरंगे~हरे~गुलाबी , ॥९॥
मोहन~ब्रज ~ फाग, मचायो !
इत~उत ,भागेऽ राधे~मोहन ,
सखिअन ~ मिल रंग वर्षायो !!
सनेही---सखिअन~मिल रंग वर्षायो---
॥ ॐशांतिॐ ॥
सर्वाधिकार सुरक्षित, रचनाकार, राम सनेही ओझा, पूर्व वायु सेना अधिकारी, वाराणसी /मुंबई !
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