आज गंगा दशहरा के उपलक्ष्य में
गंगा स्तुति
माँ गंगे तू पावनी, जग की पालनहार।
शिव ज टा में राजती, महिमा बड़ी अपार।
गंगा पर्वत वासिनी ,धरा बीच पर आय।
हरियाली बिखरायके,जग को हरा बनाय।
लाये भागीरथ तुम्हे,पितृमोक्ष धरी आस।
सारे जग को तारती बुझा जगत की प्यास।
गंगा धारा निर्मल है,लहर-लहर लहराय।
डोले सीने नाव जो,उसको पार लगाय।
चरण तेरे विनय करूँ,रखना मेरी लाज।
छोड़ हमे जाना नहीं,सुन लो गंगे आज।
रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर सी जी
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