शुक्रवार
नमन मंच काव्य रंगोली ... अभिनन्दन वंदन प्रणाम संग
सभी को सुप्रभात ....सम्मानीय मित्रों आज
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
एवं बधाईयाँ .....आप सभी को ।
मेरी कलम से .....
मैं देख रहीं हूँ उन वृक्षों को जो हमारे साथ साथ
चल रहें हैं। पर कुछ डरे - डरे से और पत्तियाँ
कुछ सहमी-सहमी- कुंभलाई सी ।
मैंने पूछा क्या हुआ?
वे धीरे से बोलें ज़रा और पास आओ ....मैं उनके पास
गई - उनकी धडकनें बहुत तेज थीं,जो मुझे साफ सुनाई
पड़ रही थी । मैनें हल्के- फुल्के हाथों से उन्हें सहलाया ।
उनके सब्र के बांध फूट पड़े और वे बिलख - बिलख कर
कह उठे ......" मेरा दर्द बाँटो , मुझे न काटो" - हे मानव
मैं ही तो हूं, जो तुम्हें जीवन देता हूँ ।
मैं देख रही थी - उन वृक्षों को, महसूस कर रही थी
उनके करूण वेदना को । मुझसे रहा न गया - झट
उनसे लिपट गयी, उनको गले लगाया , उनकी सांसे
मेरी गर्म सासों से मिलकर मुझे बहुत सुकून दे रहे थे।
शायद उन्हें भी मेरी हरकतें अच्छी लग रही थी.......
जय हिंद जय भारत!!
रत्ना वर्मा
स्वरचित मौलिक रचना
धनबाद -झारखंड
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